[ad_1]
Last Updated:
Couples Relationship Tips: अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि एक दिन में कितनी बार पार्टनर के साथ संबंध बनाने चाहिए. अगर आप भी इस कंफ्यूजन में हैं, तो जानते हैं कि इस बारे में रिसर्च क्या कहती है.

संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी कई बातों पर निर्भर करती है.
हाइलाइट्स
- संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी कपल्स की समझ पर निर्भर करती है.
- उम्र और स्वास्थ्य संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी को प्रभावित करते हैं.
- रिश्तों की बॉन्डिंग और जीवनशैली भी फ्रीक्वेंसी पर असर डालती है.
Normal Frequency of Physical Relation: जिंदगी को खुशहाल बनाए रखने के लिए कपल्स के लिए संबंध बनाना भी जरूरी होता है. कई लोग शादीशुदा होने के बाद ही कभी-कभार संबंध बनाते हैं, तो कुछ लोग अपने पार्टनर के साथ रोज संबंध बनाना पसंद करते हैं. फिजिकल रिलेशन का असर रिश्तों पर भी होता है और कई बार पार्टनर्स के बीच इसे लेकर अनबन भी हो जाती है. कई मामलों में इस बीच को रिश्ते टूटने की वजह भी माना जाता है. अक्सर लोगों के दिमाग में सवाल होता है कि संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी क्या होनी चाहिए. आसान भाषा में कहें, तो रोज कितनी बार संबंध बनाना नॉर्मल माना जा सकता है.
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर सेक्सुअल मेडिसिन (ISSM) की रिपोर्ट के मुताबिक कपल्स के संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी कितनी होनी चाहिए, इसका नंबर्स में जवाब देना काफी मुश्किल है. आमतौर पर कपल्स के बीच आपसी समझ से जितनी बार संबंध बनाए जाते हैं, उसे नॉर्मल फ्रीक्वेंसी कहा जा सकता है. कई लोग रोज कई बार संबंध बनाते हैं, तो कुछ कपल्स सप्ताह, महीने या साल में कभी कभार फिजिकल रिलेशन बनाते हैं. जब तक दोनों पार्टनर अपने रूटीन से संतुष्ट हैं, तब तक फ्रीक्वेंसी को सही और गलत नहीं कहा जा सकता है. यह कपल्स के बीच की अंडरस्टैंडिंग के ऊपर काफी हद तक डिपेंड करता है.
इन फैक्टर्स पर डिपेंड करती है संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी
– कपल्स की हेल्थ संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. अगर कोई पार्टनर बीमारी या क्रोनिक पेन से जूझ रहा है, तो इससे संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी कम हो जाती है. कई लोगों का लिबिडो यानी संबंध बनाने की इच्छा कम हो जाती है, जिसका असर भी संबंधों पर पड़ता है. मेनोपॉज के बाद महिलाएं इसे लेकर अनकंफर्टेबल महसूस करती हैं. इसका असर भी संबंधों पर काफी हद तक पड़ सकता है.
– उम्र संबंधों पर सबसे ज्यादा असर डालती है. जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे संबंध बनाने की फ्रीक्वेंसी कम होने लगती है. हॉर्मोनल बदलाव भी इसमें अहम योगदान देते हैं. उम्र के साथ पुरुषों में टेस्टेस्टेरॉन का लेवल कम होने लगता है और महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी होने लगती है. इसका असर भी संबंधों पर काफी हद तक पड़ता है. ये दोनों ही हॉर्मोन रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए बेहद जरूरी होते हैं.
– कई कपल्स के बीच बॉन्डिंग अच्छी नहीं होती है और उनके अक्सर झगड़े होते रहते हैं. इसके कारण भी कपल्स के बीच संबंधों की फ्रीक्वेंसी कम हो सकती है. शादी के बाद हनीमून पर कपल्स सबसे ज्यादा संबंध बनाते हैं और इसके बाद लॉन्ग टर्म में इस फ्रीक्वेंसी में कमी आ जाती है. कई बार शुरुआत में कपल्स के बीच रिलेशन अच्छा होता है, लेकिन बाद में रिश्ते खराब हो जाते हैं. ऐसी कंडीशन में भी संबंधों की फ्रीक्वेंसी बदल जाती है.
– कई लोगों का रूटीन इस तरह का होता है कि वे अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने में सहज महसूस नहीं कर पाते हैं. इसका असर भी फ्रीक्वेंसी पर पड़ता है. इसके अलावा कपल्स के बीच संबंध बनाने की इच्छाओं में अंतर होता है. एक पार्टनर रोज कई बार संबंध बनाना चाहता है, जबकि दूसरा पार्टनर दिलचस्पी नहीं लेता है. इस वजह से भी फ्रीक्वेंसी प्रभावित होती है. जीवन की कुछ घटनाएं भी संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं.
[ad_2]
Source link