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Incredible Success Story : ‘मंजिलें उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है…’ मेरठ के अभिनव शर्मा ने इन पंक्तियों को जीवंत कर दिया है. यूपीएससी परीक्षा 2…और पढ़ें

पिता SI, बेटा बना IAS, बिना कोचिंग के पाई सफलता, अभिनव शर्मा बोले- ‘आलू-टमाटर का रेट नहीं पता लेकिन…’

Abhinav Sharma IAS Success Story : मेरठ के रहने वाले अभिनव शर्मा ने यूपीएससी 2024 के फाइनल रिजल्ट में 130वीं रैंक हासिल की है.

हाइलाइट्स

  • अभिनव शर्मा ने UPSC 2024 में 130वीं रैंक हासिल की.
  • बिना कोचिंग के चौथे प्रयास में पाई सफलता.
  • अभिनव के पिता पुलिस इंस्पेक्टर हैं.

मेरठ. यूपीएससी परीक्षा 2024 का फाइनल रिजल्ट घोषित हो गया है. मेरठ के रहने वाले अभिनव शर्मा ने 130वीं रैंक हासिल की है. उन्होंने अपनी पहली च्वाइस आईपीएस ही दे रखी थी. अभिनव के पिता भी पुलिस सेवा में हैं. वो आजकल मेरठ के देहली गेट थाना प्रभारी हैं. अभिनव के पिता रमेश चंद्र शर्मा कांस्टेबल के तौर पर पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे. फिर सब-इंस्पेक्टर का इम्तिहान पास किया और आजकल वो इंस्पेक्टर हैं. बचपन से ही अपने पिता को पुलिस की वर्दी में देखने वाले बेटे का सपना भी वर्दी पहनने का था. अभिनव ने आईआईटी पटना से बीटेक सिविल किया. फिर कोई जॉब ज्वाइन नहीं की. 2020 में आईआईटी पटना से बीटेक करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए.

2021 में प्रिलिम्स भी क्लीयर नहीं कर पाए लेकिन हिम्मत नहीं हारी. 2022 में फिर यूपीएससी की परीक्षा दी. इस बार प्रीलिम्स भी क्लीयर किया, मेन्स भी क्लीयर किया और साक्षात्कार तक पहुंचे लेकिन सिलेक्शन नहीं हो पाया. 2023 में अभिनव यूपीएससी परीक्षा में तीसरा अटेम्पट दिया. इस बार उन्होंने परीक्षा पास कर ली. इंडियन पोस्टल सर्विसेज मिलीं लेकिन आईपीएस बनने का सपना उनके दिल-दिमाग में कौंध रहा था. इंडियन पोस्टल सर्विसेज में छु्ट्टी लेकर वो फिर तैयारी करने में जुट गए.

चौथे अटेम्पट में मिली सफलता
यूपीएससी परीक्षा के चौथे अटेम्पट में इस बार देश में 130वीं रैंक के साथ सफल हुए हैं. अभिनव का आईपीएस बनने का सपना अब पूरा होने जा रहा है. अभिनव का कहना है कि उनके रोल मॉडल हमेशा उनके माता-पिता रहे हैं. साहित्य में भी गहरा जुड़ाव रखने वाले अभिनव कहते हैं कि उन्हें रश्मिरथी की लाइन बहुत प्रेरित करती हैं. वो कहते हैं, ‘सूरमा नहीं विचलित होते, क्षणिक नहीं धीरज खोते. कांटों को गले लगाते हैं. विघ्नों में राह बनाते हैं.’ वो मधुशाला की पंक्तियां भी सुनाते नज़र आए.

बेटे की कामयाबी पर रोने लगे पिता
अभिनव के पिता इंस्पेक्टर रमेश चंद्र शर्मा अपने बेटे की कामयाबी से खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. वो कहते हैं कि बेटे को सिर्फ पढ़ने के लिए उन्होंने हमेशा प्रेरित किया. वो कहते हैं कि जनरल बोगी में ले जाकर वो बच्चों को बचपन में दिखाया करते थे कि देखो ‘जो नहीं पढ़ते हैं, वो कैसे जीवन जीते हैं. फिर एसी बोगी भी दिखाते थे कि जो पढ़ते हैं उनका जीवन कैसे होता है.’ रमेश चंद्र शर्मा बताते हैं कि उनके बेटे को दुनियादारी नहीं आती. वो कहते हैं कि अगर उनका बेटा अदरक लेने जाए और दुकानदार उनसे 500 रुपये मांग ले, तो वो उतने ही पैसे देकर चले जाएंगे. उनके बेटे को पढ़ाई के अलावा कुछ भाया नहीं इसलिए उसे आलू-प्याज-टमाटर का रेट तक नहीं पता. अभिनव अपने संघर्ष की बात करते-करते वो रोने लगते हैं. कहते हैं कि बेटे ने उनका सीना फक्र से चौड़ा कर दिया है.

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