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पीयूष शर्मा/मुरादाबाद-  उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में पिछले कुछ महीनों में एक नई सामाजिक चुनौती सामने आई है. लड़कियां पारंपरिक पारिवारिक मान्यताओं और घरवालों के निर्णयों को पीछे छोड़ते हुए अपने व्यक्तिगत संबंधों को प्राथमिकता देने लगी हैं. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 महीनों में 50 से अधिक नाबालिग और बालिग लड़कियों की गुमशुदगी व कथित किडनैपिंग के मामले दर्ज किए गए हैं.

इनमें अधिकांश लड़कियां अपने दोस्तों के साथ घर से चली गईं, जिनमें से कई को पुलिस ने बरामद भी कर लिया है. हालांकि, कुछ मामलों में लड़कियों को ढूंढ पाना पुलिस के लिए अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है.

हर बड़े थाने में 5 से 10 मामले दर्ज
एसपी सिटी रणविजय सिंह के अनुसार, मुरादाबाद के हर बड़े थाने में ऐसे 5 से 10 केस दर्ज हैं, जिनमें लड़कियां अपने निजी या पारिवारिक कारणों से घर छोड़ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि छोटे थानों में यह संख्या अपेक्षाकृत कम है.

पुलिस ने इन मामलों में तेजी से काम करते हुए अधिकतर केसों में लड़कियों को बरामद कर लिया है. जहां लड़कियां बालिग होती हैं, वहां उनके न्यायालय में दिए गए बयान के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाती है. कई मामलों में फाइनल रिपोर्ट भी दाखिल की जा चुकी है और कुछ में चार्जशीट तैयार की गई है.

निजी कारणों से उठाया बड़ा कदम
जांच में यह बात सामने आई है कि लड़कियों के घर छोड़ने के पीछे व्यक्तिगत भावनात्मक कारण, फ्रेंडशिप, पढ़ाई का दबाव और पारिवारिक तनाव जैसे कई कारण होते हैं. पुलिस का मानना है कि इन मामलों को केवल कानूनी नजरिए से नहीं देखा जा सकता, बल्कि इसके पीछे छिपे मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पहलुओं को भी समझने की जरूरत है.

पुलिस कर रही सतत निगरानी और रिकवरी
एसपी सिटी ने बताया कि हर थाने की टीम इन मामलों पर विशेष नजर रख रही है. पेंडिंग मामलों की त्वरित जांच और लड़कियों की सुरक्षित वापसी के लिए पुलिस प्रयासरत है. इन केसों की रिकवरी प्रतिशत भी बेहतर रखने का लक्ष्य रखा गया है.

समाज को भी निभानी होगी भूमिका
यह घटनाएं सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक चेतना से जुड़ा सवाल बनती जा रही हैं. ऐसी परिस्थितियों में सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं बल्कि परिवार, समाज और स्कूलों की भी भूमिका अहम हो जाती है कि वे किशोरियों से संवाद करें, उन्हें समझें और उनके मानसिक दबावों को समय रहते पहचानें.

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