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Agriculture Tips: क्या आप जानते हैं खेती के लिए पुराने जमाने में आधुनिक साधन नहीं थे, तो जमीन में वाटर लेवल का पता कैसे लगाया जाता था, अगर नहीं जानते तो उस जमाने के किसान से जानते हैं.

खेती किसानी करते किसान
हाइलाइट्स
- पुराने जमाने में किसान तालाब और कुएं से वाटर लेवल का पता लगाते थे
- तालाब और कुएं सूखने पर जलस्तर का अंदाजा लगाया जाता था
- पहले सिंचाई के लिए सीमित साधन थे, आज तकनीक से खेती आसान हुई
अमेठी- आज के समय में खेती करना आसान हो गया है, क्योंकि तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि कई दिनों का काम घंटों में ही हो जाता है. वहीं दूसरी ओर आज तकनीक के जरिए हम जमीन में पानी की मात्रा का पता लगा सकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि पहले जमाने में किसान पानी की मात्रा कैसे पता करते थे जमीन के अंदर, अगर नहीं तो चलिए जानते हैं.
ये तो आप जानते हैं, कि खेती किसानी में सबसे मूलभूत आवश्यकता होती है पानी की, यदि पानी न हो तो खेती किसानी हो ही नहीं सकती है. ऐसे में जब पहले के जमाने में आधुनिक संसाधन नहीं होते थे, तो जमीन में कितना प्रतिशत पानी है, इसका पता देसी तरीके से लगाया जाता था. जिससे किसानों को खेती किसानी में आसानी होती थी और उन्हें समस्या नहीं होती थी. दरअसल पहले के जमाने में कुछ ऐसे संसाधन और उपाय थे जिससे पानी का पता चल जाता था .
कुआं तालाब से जानते थे वाटर लेवल
आपको बता दें, पहले के जमाने में ट्यूबवेल समरसेबल के अलावा पानी निकालने का कोई साधन नहीं होता था. ना ही पानी का वाटर लेवल पता चलता था, लेकिन किसान तालाब और नदी के जरिए वाटर लेवल का पता लगा लेते थे. कुआं का पानी यदि सूख जाता था या कम हो जाता था या फिर तालाब सूख जाता था या उसमें पानी कम हो जाता था तो किसानों को उसी के माध्यम से वाटर लेवल में कितनी कमी है, इसका पता चल जाता था. इसके अलावा पंप को खेतों में चलाकर भी वाटर लेवल का पता चल जाता था और उसी के अनुसार वह खेती करते थे.
पहले नहीं थे संसाधन
पुराने जमाने के किसान सूर्यपाल यादव बताते हैं कि पहले किसान इसी तरीके से वाटर लेवल का अंदाजा लगाते थे. जब बड़े-बड़े तालाब और कुएं सूखने लगते थे, तो समझा जाता था कि जलस्तर नीचे चला गया है. उस समय सिंचाई के लिए तालाबों से ‘दुगला’ के जरिए और कुओं से ‘पुर’ के माध्यम से पानी निकाला जाता था. यही सीमित साधन थे. उन्होंने कहा कि पहले गरीबी थी, उसका बड़ा कारण पानी की कमी थी. उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया, यदि किसी किसान के पास 10 बीघा जमीन होती थी, तो उसमें से केवल 1 बीघे में ही गेहूं बोया जा सकता था और इसका कारण था पानी की कमी, लेकिन आज के समय में सिंचाई के कई साधन उपलब्ध हैं, जिससे खेती-किसानी पहले की तुलना में काफी बेहतर हो गई है
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