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Agency:News18 Uttar Pradesh
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Collection of coins : उनका कलेक्शन 1904 से लेकर 2025 तक फैला है, जिसमें एक सदी से अधिक की विरासत देखी जा सकती है. 1904 के दो आने से शुरू हुई ये यात्रा इतनी आगे तक जाएगी किसने सोचा था.
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title=एक आना, चवन्नी से लेकर 10 रुपये तक—शीला सिंह के पास है सिक्कों का इतिहास!
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एक आना, चवन्नी से लेकर 10 रुपये तक—शीला सिंह के पास है सिक्कों का इतिहास!
गाजीपुर. जिले की शीला सिंह ने कमाल कर दिया है. वो एक ऐसी शिक्षिका हैं जिन्हें सिक्कों से खास जुड़ाव है. उनका कलेक्शन 1904 से लेकर 2025 तक फैला हुआ है, जिसमें 120 साल की विरासत सहेजी गई है. उन्होंने 1904 के दो एक आने के सिक्कों से शुरुआत की और धीरे-धीरे 1914, 1919, 1928, 1956 तक के एक चौथाई आने, आधे आने, एक पैसे, 25 पैसे, 50 पैसे (चवन्नी), 20 पैसे, 10 पैसे, 5 रुपये, 10 रुपये और 2000, 1995, 1990 के 1 रुपये तक के सिक्के अपने संग्रह में शामिल कर लिए. खास बात ये है कि पिछले 30 वर्षों में उन्होंने विशेष रूप से 1 रुपये और 10 पैसे के सिक्कों का भी संग्रह किया है, जिसमें 1970, 1988 और 1991 के सिक्के शामिल हैं.
इनसे मिली विरासत
शीला सिंह बताती हैं कि ये विरासत उन्हें उनकी मां और ससुराल से मिली है. उनके पास जो भी तांबे के सिक्के हैं, वे उनकी मां ने दिए थे, जबकि सिल्वर कलर के सिक्के उनके ससुराल से मिले हैं. उनकी मां सिक्कों को पोटली में बांधकर रखती थीं और उसी परंपरा को निभाते हुए शीला सिंह भी सिक्कों को पोटली में संभालकर रखती हैं.
दिवाली पर खास पूजा
शीला सिंह ने सिर्फ अपने परिवार से ही नहीं, अपने टीचर्स ग्रुप से भी पुराने सिक्के मांगकर अपने कलेक्शन को समृद्ध किया है. वे बताती हैं कि उनकी मां हर दिवाली पर इन सिक्कों की पूजा किया करती थीं, क्योंकि वे इसे समृद्धि का प्रतीक मानती थीं. शीला सिंह का मानना है कि सिक्के बेहद ड्यूरेबल होते हैं, क्योंकि ये मेटल के बने होते हैं और पीढ़ियों तक सुरक्षित रहते हैं. उनके लिए ये सिर्फ सिक्के नहीं, बल्कि विरासत की धरोहर है, जिसे वे आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजकर रखना चाहती हैं.
Ghazipur,Uttar Pradesh
February 20, 2025, 22:51 IST
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