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Pope Francis Double Pneumonia: ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस बेहद गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. उन्हें डबल निमोनिया हुआ था. पोप फ्रांसिस पूरी दुनिया के सबसे बड़े धर्मगुरु हैं. इसलिए पूरी दुनिया उनके शीघ्र कुशल होने की कामना कर रही थी. अब वे कुशल हैं लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें दो महीने तक आराम करने की सलाह दी है. हालांकि डबल निमोनिया बेहद खतरनाक बीमारी है. अगर इस बीमारी में आईसीयू में पहुंच गए तो आधे लोगों की मौत हो जाती है. डबल निमोनिया का मतलब होता है शरीर के दोनों लंग्स का एक साथ इंफेक्टेट होना. निमोनिया बैक्टीरिया, फंगस या वायरस जैसे सूक्ष्म जीवों के हमले से होता है. आखिर डबल निमोनिया का खतरा कितना होता है और किसके लिए इसका रिस्क ज्यादा होता है, इस विषय पर हमने फोर्टिस अस्पताल, मानेसर में पल्मोनोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. कर्ण मेहरा से बात की.
क्या होता है डबल निमोनिया
डॉ. कर्ण मेहरा ने बताया कि डबल निमोनिया को मेडिकल टर्म में बायलेटरल निमोनिया कहा जाता है. इसमें दोनों लंग्स में इंफेक्शन हो जाता है. यानी डबल निमोनिया ज्यादा खतरनाक बीमारी है. इसमें लंग्स के अंदर से एयर सैक होते हैं उसमें इंफ्लामेशन हो जाता है जिससे पस बनने लगता है. ऐसा होने के कारण लंग्स को जो ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता होती है वह कम हो जाती है.
कितनी गंभीर है यह बीमारी
डॉ. कर्ण मेहरा बताते हैं कि अगर बुजुर्गों में यह बीमारी हुई तो गंभीर हो सकती है. आमतौर पर यह बीमारी बैक्टीरिया और वायरस के कारण होती है. कुछ मामलों में फंगस भी हो सकती है लेकिन वह रेयर होती है. हालांकि डबल निमोनिया भी निमोनिया की तरह ही है लेकिन इसमें दोनों लंग्स प्रभावित होते हैं. निमोनिया होने पर शरीर में साइटोकाइन ज्यादा रिलीज होता है जिसके कारण इंफ्लामेशन और ज्यादा बढ़ जाती है. साइटोकाइन एक प्रकार का प्रोटीन है जो इम्यूनिटी को कंट्रोल करता है लेकिन जब ज्यादा हो जाए तो यह इंफ्लामेशन को बढ़ा देता है. इस इंफ्लामेशन के कारण एयर सैक्स में पस बनने लगता है. चूंकि जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन आकर इसी एयर सैक्स में जमा होती है और यहां से यह खून में चली जाती है लेकिन जब एयर सैक्स घायल होने लगेंगे तो इसमें ऑक्सीजन जमा नहीं होगा जिससे शरीर में ऑक्सीजन जाने की क्षमता घट जाएगी. इसे वेंटीलेशन परफ्यूजन रेशियो कहा जाता है. अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो आईसीयू की जरूरत आ पड़ती है. आईसीयू में जाने वाले 20-25 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है.
क्या इसका इलाज है
बिल्कुल इलाज है. डबल निमोनिया का सही समय पर इलाज कर दिया जाए तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. अधिकांश मामलों में निमोनिया की बीमारी को ठीक कर लिया जाता है. इसमें मुख्य रूप से ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसके बाद एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लामेटरी जैसे सर्पोटिंग इलाज से डबल निमोनिया को ठीक किया जा सकता है.
इस बीमारी के लक्षण क्या है
डबल निमोनिया में भी वही लक्षण होते हैं जो निमोनिया में होते हैं. उसी तरह से सांस फूलती है, खांसी आती है, खासकर सूखी खांसी, वहीं ऑक्सीजन लेवल बहुत डाउन हो जाता है. अगर गंभीर निमोनिया हो गया है कि इसमें दिमाग में कंफ्यूजन रहता है. इसके साथ ही छाती में दर्द और बुखार भी हो सकता है.
किसे है डबल निमोनिया का ज्यादा खतरा
डॉ. कर्ण मेहरा ने बताया कि 2 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को डबल निमोनिया का खतरा ज्यादा है. इसके अलावा जिन लोगों फेफड़े से संबंधित अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रोनिक कंस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, इंफायसेमा, पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसी बीमारियां हैं, उन लोगों को भी इसका खतरा ज्यादा है. वहीं नसों से संबंधित बीमारियों और लंबे समय तक अस्पताल में रहने वाले लोगों को भी निमोनिया का खतरा रहता है. जो लोग सिगरेट पीते हैं या जो महिलाएं प्रेग्नेंट हैं उन्हें भी निमोनिया का रिस्क ज्यादा है.
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