Latest Posts:
Search for:

[ad_1]

अरविंद दुबे/ सोनभद्रः सोनभद्र जिले के आधा दर्जन गांवों में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. प्रधान और सेक्रेटरी की लापरवाही या साजिश के चलते दो दर्जन से अधिक वृद्धा पेंशन धारकों को कागजों में मृत घोषित कर उनकी पेंशन बंद कर दी गई. बुजुर्गों ने आरोप लगाया कि प्रधानी चुनाव में वोट न देने के कारण उन्हे साजिशन मृत दिखाया गया.  यूपी के सोनभद्र जिले में सदर ब्लॉक क्षेत्र स्थित ऊंचडीह न्याय पंचायत के आधा दर्जन गांवों में यह चौंकाने वाला मामला सामने आया है.

प्रधान और सेक्रेटरी की बड़ी लापरवाही या साजिश के चलते दो दर्जन से अधिक वृद्धा पेंशन धारकों को कागजों में मृत घोषित कर उनकी पेंशन बंद कर दी गई. पेंशन धारकों का आरोप है कि प्रधानी के चुनाव में उन्हें वोट नहीं दिया. इसलिए हमें कागजों में मृत घोषित कर दिया गया. न्याय पंचायत ऊंचडीह  के देवरी खुर्द सहित आधा दर्जन ग्राम पंचायत में दो दर्जन से अधिक वृद्धा पेंशन धारकों को जिंदा होते हुए भी कागजों में मृत घोषित करके उन्हें पेंशन से वंचित कर दिया गया. इन बुजुर्ग पेंशन धारकों को इस बात की तब जानकारी हुई जब कई महीनों से उनके खाते में पेंशन की राशि ही नहीं पहुंची. इस संबंध में जब पेंशन धारकों ने पता किया तो मालूम हुआ कि उन्हें मरे हुए कई महीने हो चुके हैं. हैरान परेशान सभी लोग डीएम के यहां पहुंचे और खुद के जिंदा होने की बात बताई. डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के बाद कार्रवाई की बात कही.

वृद्धा पेंशन धारकों के मुताबिक अभी पिछले साल तक ही इनकी पेंशन आ रही थी, लेकिन एक साल से इन्हें किसी भी प्रकार की पेंशन नहीं मिली है. प्रधान और सेक्रेटरी ने मिलकर इस मामले में गड़बड़ी की है. वहीं इस संबंध में जब हमने मामले की हकीकत जानने के लिए पड़ताल की, तो कुछ पेंशन धारकों ने आरोप लगाया कि उन्हें लगता है हम लोगों ने प्रधानी के चुनाव में वोट नहीं दिया है. इसी वजह से सेक्रेटरी के साथ मिलकर प्रधान द्वारा हमें मृत घोषित कर दिया गया है. मामला डीएम दरबार तक पहुंचा और इसके बाद समाज कल्याण विभाग को भी निर्देशित किया गया कि मामले की जांच की जाए. अगर कोई इसमें गलत पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई करने की बात भी डीएम बद्री नाथ सिंह द्वारा कही गई है.

ऐसे में अगर उक्त वृद्धों की बात को सत्य माना जाए तो यह कहां तक सही है. जब सरकार योजनाओं को सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए बगैर भेदभाव के लोगों तक पहुंचा रही है. फिर कोई प्रधान आखिर इस प्रकार से निजी द्वेष का काम कैसे कर सकता है अगर आरोपों को सही मानें, तो ऐसे ग्राम विकास अधिकारियों पर अंकुश कब लगेगा. जो केवल प्रधान के दबाव में सही लाभार्थियों को गलत बताकर उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि उक्त मामले में जांच की आंच कहां तक आती है. क्या इसमें कोई कार्रवाई भी होती है या लंबित ऐसे अन्य मामलों की तरह यह भी फाइलों में दब कर रह जाएगा. वहीं इस संबंध में सोनभद्र डीएम बद्रीनाथ सिंह  ने बताया कि मामले की शिकायत प्राप्त हुई है. जिसे लेकर समाज कल्याण विभाग को जांच के लिए निर्देशित भी किया गया है. जिसकी भी लापरवाही होगी जांच के बाद उन पर कार्रवाई की जाएगी.

FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 11:46 IST

[ad_2]

Source link

Author

Write A Comment