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Sheesham Tree Health Benefits: शीशम पेड़ की जड़, तना, पत्तियां और छाल सभी औषधीय गुणों से भरपूर है. यह त्वचा संक्रमण, फोड़े-फुंसी और घावों को ठीक करने में मददगार होती है. शीशम के बीज से निकले तेल का प्रयोग जलने म…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • औषधीय गुणों से भरपूर है शीशम का पेड़
  • आंख और त्वचा की बीमारी में है असरदार
  • कुष्ट रोग में लाभकारी है शीशम के छाल का काढ़ा
जयपुर. प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. ऐसा ही एक पौधा है शीशम. आमतौर पर मजबूत लकड़ी के लिए इस पेड़ को जाना जाता है. लेकिन, आयुर्वेद में भी यह बहुत उपयोगी है. इस पेड़ के पत्ते और बारिश के समय उगने वाली फलियां किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. कुष्ठ रोग के इलाज में यह पत्ते का उपयोग किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि इस पेड़ की जड़, तना, पत्तियां और छाल सभी महत्वपूर्ण है.

शीशम की पत्तियों में सबसे अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह त्वचा संक्रमण, फोड़े-फुंसी और घावों को ठीक करने में मददगार होती हैं. इसके अलावा शीशम की पत्तियों का रस एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. शीशम के बीज से निकले तेल का प्रयोग जलने में किया जाता है. वहीं तेल से कई औषधीय भी बनाई जाती है.

औषधीय गुणों से भरपूर है शीशम

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि शीशम के बीज से निकले तेल का प्रयोग जलने में किया जाता है. वहीं तेल से कई औषधीय भी बनाई जाती है. आग में जलने के बाद अगर रोजाना शीशम के बीजों का तेल लगाया जाता है तो जलन का दर्द धीरे-धीरे खत्म हो जाता है. इसके अलावा आंखों की बीमारी में शीशम के पत्ते का रस शहद के साथ किया जाता है. इसमें आंखों को आराम मिलता है. इसके अलावा एनीमिया रोग में शीशम के पत्ते का रस काम में लिया जाता है. इसके सुबह-शाम सेवन से एनीमिया रोग से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा अवसाद से ग्रसित रोगियों के लिए शीशम का तेल बेहद फायदेमंद है. इसके सेवन से उदासी व निराशा दूर हो जाती है. शीशम के छाल को पानी में उबालकर काढ़ा के रूप में शहद के साथ पीने से कुष्ठ रोग के इलाज में अच्छा लाभ मिलता है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक के मुताबिक शीशम के पेड़ का हर भाग बहुत उपयोगी होता है. इसकी लकड़ी फर्नीचर निर्माण में उपयोगी होती है. वहीं पौराणिक ग्रंथों में शीशम के पेड़ के बारे में विस्तार से वर्णन मौजूद है. इसका वृक्ष 30 मीटर तक ऊंचाई तक जा सकता है. इसकी छाल मोटी भूरे रंग की होती है उसके फूल पीले रंग के छोटे आकार के होते हैं. धार्मिक दृष्टि से भी इस पेड़ का विशेष महत्व है. शादी के समय इसी पेड़ की लकड़ी से बनी तोरण तैयार की जाती है.

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सेहत के लिए वरदान से कम नहीं है यह पेड़, आंख और त्वचा की समस्या में है कारगर

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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