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Meerut News: सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के दूसरे विकल्प को लेकर उठे विवाद पर निर्भया केस के जल्लाद पवन ने अपनी राय दी है. उनका कहना है कि फांसी से दोषियों में खौफ पैदा होता है और यही सजा सबसे प्रभावी है, जबकि इंजेक्शन में ऐसा डर नहीं होता. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का सम्मान करते हुए फांसी को पारंपरिक और सही विकल्प बताया.

फांसी से दोषियों में पैदा होता डर और…जहर के इंजेक्शन में वो बात कहां! सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर बोले पवन जल्लाद

मेरठ: सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के दूसरे विकल्प को लेकर दाखिल याचिका पर देश के चर्चित पवन जल्लाद ने बड़ा बयान दिया है. पवन का कहना है कि ‘फांसी से दोषियों में डर और खौफ पैदा होता है, उनकी रूह कांप जाती है…जहर के इंजेक्शन में वो डर कहां!’ उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी का आदर करते हुए कहा कि फांसी ही सबसे सही और पारंपरिक तरीका है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक याचिका दायर कर मृत्युदंड की सजा के तरीके को बदलने की गुहार लगाई गई है. लेकिन, केंद्र सरकार इस बदलने के लिए तैयार नहीं है. वहीं, कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वक्त के साथ सरकार को भी बदलना चाहिए. जिसके बाद इस मुद्दे पर बड़ी बहस छिड़ गई है.

वहीं, इस बहस पर देश के गिने-चुने जल्लादों में से एक, निर्भया केस में चार दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद ने कहा, ‘फांसी सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि दोषी तिल-तिल मरता है और समाज को सख्त संदेश जाता है. इंजेक्शन से न तो तड़प होती है और न ही डर.’ पवन का कहना है कि फांसी परंपरागत तरीका है और यही अपराधियों में भय पैदा करता है.

उन्होंने बताया कि उनके परिवार के लोग कई पीढ़ियों से फांसी देने का काम करते आ रहे हैं. वे खुद भी अपने दादा के साथ फांसी के लिए जाया करते थे. पवन ने आगे कहा, ’20 मार्च 2020 को मैंने निर्भया केस के चार दोषियों को फांसी दी थी. इसके बाद देश में अब तक कोई फांसी नहीं हुई.’ हालांकि सजा जरूर हुई है.

पवन मेरठ जिला कारागार में समय-समय पर हाजिरी लगाते हैं और नए फांसी के आदेश का इंतजार करते हैं. उन्होंने बताया कि फांसी दिए जाने के करीब 15 मिनट बाद ही दोषी की मृत्यु हो जाती है, लेकिन आधिकारिक घोषणा 30 मिनट में की जाती है. आर्थिक स्थिति पर बात करते हुए पवन ने कहा कि उन्हें मेरठ ज़िला कारागार से सिर्फ 10,000 रुपए मानदेय मिलता है, जबकि यह राशि 25,000 रुपए होनी चाहिए.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मानदेय बढ़ाने की अपील की है. बातचीत के दौरान पवन जल्लाद ने मशहूर गीत की लाइन भी गुनगुनाई, ‘मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया…’ और कहा कि वह अपने काम के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.

Rahul Goel

मैं राहुल गोयल न्यूज़ 18 हिंदी में हाइपरलोकल (यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश) के लिए काम कर रहा हूं. मुझे हिंदी मीडिया में 16 साल से ज्यादा का अनुभव है. मैंने प्रिंट में रिपोर्टिंग से लेकर डिजिटल मीड…और पढ़ें

मैं राहुल गोयल न्यूज़ 18 हिंदी में हाइपरलोकल (यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश) के लिए काम कर रहा हूं. मुझे हिंदी मीडिया में 16 साल से ज्यादा का अनुभव है. मैंने प्रिंट में रिपोर्टिंग से लेकर डिजिटल मीड… और पढ़ें

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फांसी या जहरबुझा इंजेक्शन! जानिए SC के सुझाव पर क्या बोले पवन जल्लाद

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