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अगर आप प्रयागराज में हैं और शहर की भीड़भाड़ से दूर शांति भरे पल बिताना चाहते हैं, तो यहां मौजूद खूबसूरत और ऐतिहासिक पार्क आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं. ये पार्क न सिर्फ हरियाली और सुकून भरे वातावरण से भरपूर हैं, बल्कि यहां आकर आप प्रयागराज के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू हो सकते हैं. परिवार के साथ सैर हो या पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम, ये पार्क हर उम्र के लोगों के लिए खास हैं. कुछ पार्कों में जहां नाम मात्र की एंट्री फीस (₹5 से ₹10) ली जाती है, वहीं कई पार्क पूरी तरह से मुफ्त हैं. आइए जानते हैं प्रयागराज के इन खास पार्कों के बारे में विस्तार से…

प्रयागराज में मौजूद सभी पार्कों में सबसे बड़ा पार्क है चंद्रशेखर आजाद पार्क. क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़े होने के साथ-साथ इस पार्क के अंदर प्रवेश करते ही आपको भारतीय इतिहास की झलक देखने को मिल जाएगी.

अगर चंद्रशेखर आजाद पार्क के अंदर जा रहे हैं तो बिना चंद्रशेखर आजाद की स्टैचू देखे वापस आएंगे तो इस पार्क का घूमना अधूरा रह जाएगा. यह मूर्ति गेट नंबर 3 पर घुसते ही देखने को मिल जाती है, जो लगभग 15 फीट ऊंची है.

दूसरा पार्क है मिंटो पार्क। इसका भी जुड़ाव भारतीय इतिहास से रहा है. लेकिन पहले इसकी सुंदरता जान लीजिए—इस पार्क के अंदर आपको चीता, शेर, जिराफ, बकुला जैसे पशु-पक्षियों की बेहतरीन नक्काशी वाली मूर्तियाँ देखने को मिलेंगी, जो सजीवता का एहसास कराती हैं. यहां अक्सर बच्चे और परिवार के लोग आकर समय बिताना पसंद करते हैं.

महाकुंभ के दौरान मिंटो पार्क में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का भी सजीव चित्रण किया गया, जो पार्क के बीचो-बीच स्थित है. इसके साथ ही यहां बैठने की शानदार व्यवस्था होने की वजह से कपल्स इस जगह को खूब पसंद करते हैं.

यह हाथी पार्क, सुमित्रानंदन पार्क के अंदर की तस्वीर है. ऐसी तस्वीरें आपको प्रयागराज के लगभग सभी प्रमुख पार्कों में देखने को मिल जाएंगी, जिसे “ओपन जिम” कहा जाता है. मॉर्निंग वॉक करना हो या दिन में कभी भी आकर बॉडी को स्ट्रेच करना हो, पार्क के अंदर इस तरह की फिटनेस सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं.

मिंटो पार्क का ऐतिहासिक महत्व केवल उसकी सुंदरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से भी गहराई से जुड़ा है. साल 1858 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद इसी पार्क के अंदर लॉर्ड कैनिंग ने महारानी विक्टोरिया की ओर से घोषणा पत्र पढ़ा था. इस घोषणा के तहत ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को यह आश्वासन दिया था कि वे अब अपने साम्राज्य का और विस्तार नहीं करेंगे. यह घटना भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिससे मिंटो पार्क का महत्व और भी बढ़ जाता है.

चंद्रशेखर आजाद पार्क सिर्फ अपनी हरियाली और ऐतिहासिक मूर्तियों के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षा और इतिहास के संगम के लिए भी प्रसिद्ध है. इसी पार्क के अंदर स्थित है देश की सबसे पुरानी सार्वजनिक लाइब्रेरी, जहां आज़ादी के बाद उत्तर प्रदेश की पहली विधानसभा की बैठक भी आयोजित हुई थी. यह स्थान न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आज भी सैकड़ों छात्र यहां आकर अध्ययन करते हैं. इस वजह से यह पार्क शिक्षा, इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक बन चुका है.

यह पुरुषोत्तम दास टंडन पार्क का शाम के समय का नजारा है, जहां चारों तरफ हरियाली और लाइटों की सजावट माहौल को और भी मनमोहक बना देती है. स्वच्छता और शांति से भरपूर इस पार्क में लोग न सिर्फ सैर करने आते हैं, बल्कि यहां कपल्स भी बड़ी संख्या में आते हैं और अपने पार्टनर के साथ सुकून भरे पल बिताते हैं. साफ-सुथरे वातावरण और खुली जगह के कारण यह पार्क क्वालिटी टाइम बिताने की पसंदीदा जगह बन चुका है.

प्रयागराज के कैंट इलाके में स्थित शास्त्री तपोवन पार्क अपनी शांति और सुंदर निर्माण के लिए जाना जाता है. यह पार्क परिवारों और बच्चों के लिए एक आदर्श स्थान बन चुका है, जहां लोग सुकून भरे पल बिताने आते हैं. दोपहर के समय यहां कपल्स भी अक्सर पहुंचते हैं, क्योंकि यह पार्क पीस एरिया में स्थित है और यहां भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा लोगों को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कराती है. यही कारण है कि यह पार्क शहर के लोकप्रिय स्थलों में से एक बन गया है.

प्रयागराज के मंफोर्डगंज क्षेत्र में स्थित शिवाजी पार्क शहर के सबसे स्वच्छ और सुव्यवस्थित पार्कों में से एक माना जाता है. भले ही इसका क्षेत्रफल कुछ कम हो, लेकिन सुविधाओं के लिहाज से यह किसी बड़े पार्क से कम नहीं है. यहां योग स्थल, ओपन जिम, सिंथेटिक रनिंग ट्रैक, स्वच्छ पेयजल और शौचालय जैसी बेहतरीन व्यवस्थाएं मौजूद हैं. खास बात यह है कि इस पार्क में घास पर जूते पहनकर चलने की अनुमति नहीं है, जिससे हरियाली को संरक्षित रखा गया है. इसकी देखरेख एक रिटायर्ड जज द्वारा की जाती है, जो इसे विशेष रूप से अनुशासित और आकर्षक बनाता है.

शिवाजी पार्क के भीतर लोहे और गैस पाइप के बेहतरीन समन्वय से तैयार की गई पशु-पक्षियों की कलाकृतियां इसे और भी आकर्षक बनाती हैं. ये कलात्मक संरचनाएं न सिर्फ बच्चों को लुभाती हैं, बल्कि पार्क की सुंदरता में भी चार चांद लगाती हैं. इसके अलावा, इस पार्क में समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता रहता है, जो स्थानीय लोगों को जोड़ने और प्रतिभाओं को मंच देने का कार्य करता है. सुबह के समय यहां आने वाले लोग योग करने के बाद समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जिससे यह स्थान केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि विचार-विमर्श और जागरूकता का केंद्र भी बन गया है.
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