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Ear Hurt on Planes: विमान में सफर करने के दौरान कुछ लोगों में कान में बहुत ज्यादा दर्द करने लगता है. ऐसा क्यों होता है और इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए. इस बारे में कान के डॉक्टर से जानते हैं.

विमान में क्यों कान में होने लगता है दर्द.
हाइलाइट्स
- विमान में कान दर्द होने पर च्यूइंग गम चबाएं.
- नाक साफ करने वाला नजल ड्रॉप उपयोग करें.
- कान में दर्द होने पर वलसालवा ब्रीदिंग करें.
Ear Hurt on Planes: अहमदाबाद विमान हादसे ने पूरे देशवासियों के दिल को झकझोर दिया है. यह हादसा भारतीय विमानन क्षेत्र का सबसे बड़ा हादसा माना जाता है. हादसे के बाद विमान में सुरक्षा को लेकर कई तरह की बातें की जा रही है. ऐसे में विमान यात्रा के दौरान एक आम समस्या होती है-कानों में दर्द. जो लोग विमान में यात्रा कर रहे हैं उन लोगों को यह परेशानी हो ही जाती है. इसलिए जो लोग पहली बार विमान में सफर कर रहे हैं, उन्हें यह बात जरूर जाननी चाहिए कि आखिर प्लेन में हजारों फीट ऊंचाई पर कानों में दर्द क्यों होने लगता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए.
डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल में ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि आमतौर पर जब विमान 35 हजार फुट की ऊंचाई तक पहुंचता है तो विमान के अंदर वायुमंडलीय दबाव बदल जाता है. इस स्थिति में हमारे कान के अंदर गैस का जो वातावरण होता है वह प्रक्रिया भी बदलने लगती है. इसमें कान के अंदर भी दबाव बढ़ जाता है और कान की सुरक्षात्मक लेयर भी दरकने लगता है. यानी यह भी रक्षा करने में असफल होने लगता है. यही कारण कि कान में जबर्दस्त दर्द शुरू होने लगता है. कुछ लोग इसे बर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन कुछ लोगों में यह दर्द ज्यादा होने लगता है और वह बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. कुछ लोगों में मिडिल इयर में स्थित टेंपेनिक मेंब्रेन भी डैमेज होने लगता है जिससे कान से खून निकलने लगता है. यह लैंडिंग के समय ज्यादा होता है. इसे बैरोट्रॉमा कहते हैं.
सिक्योरिटी लेयर काम करना बंद कर देता
हमारे कान और नाक की बनावट है, उसमें मिडिल में यूरीस्टेशियन ट्यूब होता है. यह वेंटिलेशन की तरह काम करता है. यह ट्यूब या नली होती है जो नाक और गले तक जाती है. बाहर की हवा के प्रेशर और मिडिल ईयर के बीच के प्रेशर को यही नली बैलेंस करती है. यह ट्यूब हमारे कान के लिए सिक्योरिटी लेयर की तरह होती है. जब हम जमीन पर होते हैं तो आमतौर पर इसके बैलेंस में कोई गड़बड़ी नहीं होती.लेकिन ऊंचाई पर प्रेशर के कारण यह ट्यूब दबाव को झेल नहीं पाता है. ऐसे में कभी-कभी यूरिस्टेशियन ट्यूब बंद भी हो जाता है. इससे एयर प्रेशर आगे बढ़ ही नहीं हो पाता है.यह स्थिति बेहद खतरनाक हो जाता है और इसमें बहुत अधिक दर्द होने लगता है. हालांकि जरूरी नहीं कि सबके साथ ऐसा हो. कुछ लोगों में इस ट्यूब की सुरक्षा के लिए एक मोटी परत होती है जो इस तरह के प्रेशर से बचा देती है.
डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि यूरिस्टेशियन ट्यूब में अगर किसी को पहले से बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन है तो उसे यह खतरा ज्यादा है. दरअसल, यूरिस्टेशियन ट्यूब की सतह पर एक म्यूकस लाइनिंग होती है.यह लाइनिंग ट्यूब की रक्षा करती है. इंफेक्शन की स्थिति में म्यूकस की लाइनिंग कमजोर हो जाती है. दूसरी ओर जब इसमें बहुत अधिक ठंड लगती है या साइनस इंफेक्शन होता है या कुछ एलर्जी होती है तो इस लाइनिंग में सूजन हो जाती है, इससे ट्यूब और कमजोर होने लगती है.ऐसे में यदि आपको कानों में इंफेक्शन पहले से हुआ है और आप उस स्थिति में हवाई सफर करते हैं तो यह स्थिति भयावह हो सकती है. इसलिए पहले डॉक्टर से जरूर मिल लें.
दर्द की स्थिति में क्या करें
डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि कानों में अगर मूवमेंट को बढ़ा दें तो प्रेशर कम हो जाएगा. इसके लिए कान को हाथों से पकड़कर इसे आगे-पीछे करें. वहीं जोर-जोर से मुंह में कुछ चबाने की कोशिश करें. दर्द होने पर पानी पिए, च्यूगम को चबाए. इन्हीं सब से आपको राहत मिलेगी. अगर आप जानते हैं कि कानों में दर्द होगा या कानों से संबंधित कोई परेशानी है तो नाक को साफ करने वाला नजल ड्रॉप विमान में चढ़ने से पहले डाल लें. इससे सांस लेने में आसानी होगी और दर्द से भी राहत मिलेगी. वलसालवा ब्रीदिंग भी फायदेमंद होगा. इसमें नाक और मुंह को बंद कर लें और उसे फुला लें और फिर नाक से धीरे-धीरे हवा को निकलने दें. अगर दर्द बर्दाश्त न हो तो प्लेन में हर आधे घंटे पर नाक में यह स्प्रे डालते रहे. बच्चों में अगर परेशानी है तो पहले डॉक्टर से मिल लें. बच्चों को जल्दी-जल्दी फीड कराते रहे.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
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