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फर्रुखाबाद: अगर आपके पास भी कोई बंजर ज़मीन पड़ी है तो अब आप उसे किचन गार्डन में बदल सकते हैं. इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं. फर्रुखाबाद जिले के कमालगंज मुख्य मार्ग स्थित सब्जी मंडी के पास एक ऐसी 29 साल पुरानी दुकान है, जहां बेहद कम कीमत पर आपको हर तरह की सब्जियों और फलों के बीज मिल जाएंगे. साथ ही यहां एक छोटी नर्सरी भी मौजूद है, जिससे आपको पौधे भी सीधे मिल सकते हैं.

सरकारी नौकरी से भी ज्यादा फायदा
लोकल18 से बातचीत में विक्रेता और प्रगतिशील किसान राजेश ने बताया कि वह बचपन से ही सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसी से आज वह अच्छी खासी आमदनी भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि खेती से आज तक कभी नुकसान नहीं हुआ, बल्कि सरकारी नौकरी करने वालों से ज्यादा कमाई हो जाती है. राजेश बताते हैं कि एक बीघा ज़मीन में खेती की लागत लगभग 2 से 3 हजार रुपये आती है और जब फसल तैयार हो जाती है तो पहले फूलों की बिक्री की जाती है, फिर बीजों की. इससे उन्हें दोहरी आमदनी हो जाती है.

मौसमी सब्जियों से बना ली अलग पहचान
यहां के किसान पारंपरिक खेती को छोड़ अब जैविक खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें बेहतरीन मुनाफा हो रहा है. राजेश हर साल अपने खेतों में शलजम, चुकंदर, मूली, तोरई, गाजर, लौकी, कद्दू, टमाटर, गोभी, धनिया, पालक और आलू जैसी मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं. खास बात यह है कि इन सब्जियों के बीज भी वह खुद अपनी दुकान पर बेचते हैं, वो भी बेहद कम कीमतों पर, जिससे गांव के और आसपास के किसान भी लाभ ले रहे हैं.

जैविक खेती से कमाते हैं ज्यादा
राजेश का साफ कहना है कि अब वे किसी भी प्रकार का रासायनिक खाद या कीटनाशक इस्तेमाल नहीं करते. सिर्फ जैविक खाद और देसी तकनीकों से खेती करते हैं. इससे उनकी लागत भी कम होती है और उत्पादन भी बढ़िया होता है. खुद से ही खेत की देखरेख करते हैं, जिससे मेहनत तो होती है, लेकिन लाभ दोगुना मिलता है.

नवीन मंडी में मिलती है अच्छी कीमत
कमालगंज के पास स्थित इस गांव के किसानों के लिए बड़ी राहत ये है कि उनकी फसलें सुबह ही पास की नवीन मंडी में बिक जाती हैं. इससे समय की बचत होती है और खरीदार भी जैविक फसलों को प्राथमिकता देते हैं. यही वजह है कि यहां के किसानों को रोज़मर्रा की आमदनी अच्छी हो रही है.

जैविक खेती की मुहिम बनी मिसाल
किसानों ने गांव में जैविक खेती को लेकर एक नई मुहिम चलाई है. कृषि विभाग से मिली सलाह के अनुसार अब इस गांव के लोग रासायनिक खेती की जगह पूरी तरह जैविक खेती पर फोकस कर रहे हैं. इससे जहां लागत बच रही है, वहीं उत्पादन भी सुरक्षित और सेहतमंद हो रहा है. इस मॉडल को आसपास के गांवों के किसान भी अपना रहे हैं और राजेश जैसे किसान अब दूसरों को भी जैविक खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं.

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