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Antibiotic Use in Girls: कुछ भी होने पर अगर बच्चों को एंटीबायोटिक की दवा दे रहे हैं तो अलर्ट हो जाएं, इससे लंबे समय तक नुकसान होगा. खासकर लड़कियों में.

बच्चों को एंटीबायोटिक देने से पहले सौ बार सोचें.
Antibiotic Use In Girls: भारत में एंटीबायोटिक्स की कई दवाओं का नाम बच्चे-बच्चे की जुबान पर रहता है. जैसे ही हल्का सा कुछ हुआ एंटीबायोटिक्स दवाएं केमिस्ट की दुकान से खरीद कर खा ली. हमेशा हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि एंटीबायोटिक दवाओं का इस तरह धड़ल्ले से इस्तेमाल न सिर्फ सेहत के साथ खिलवाड़ है बल्कि लंबे समय के लिए यह नुकसानदेह है. अब एक नई रिसर्च में कहा गया है कि बचपन में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के कारण लड़कियों में प्यूबर्टी या यौवनारंभ जल्दी शुरू हो जाता है. मतलब कि अगर बचपन में लड़कियों को एंटीबायोटिक ज्यादा देंगे तो उसमें पीरियड्स पहले आने लगेंगे. इसलिए यह सलाह दी गई है कि लड़कियों को हरगिज भी एंटीबायोटिक न दें. जब तक डॉक्टरों को बहुत जरूरी न लगे तब एंटीबायोटिक देना लंबे समय के लिए नुकसानदेह है.
8 साल की उम्र में प्यूबर्टी
यह रिसर्च यूरोपियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी और यूरोपियन सोसाइटी ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी के पहले संयुक्त सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया है. इसमें शुरुआती उम्र में दवाओं के इस्तेमाल के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंता जताया गया है. अध्ययन में पाया गया कि अगर बच्चों को जीवन के शुरुआती महीनों में बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं तो उनमें जल्दी यौवन puberty आने की आशंका बढ़ जाती है. जल्दी यौवन का मतलब है कि लड़कियों में 8 साल की उम्र से पहले और लड़कों में 9 साल की उम्र से पहले यौन विकास शुरू हो जाता है. इसे मेडिकल भाषा में सेंट्रल प्रीकॉसियस प्यूबर्टी CPP कहा जाता है और यह स्थिति ज़्यादातर लड़कियों को प्रभावित करती है. पिछले कुछ सालों में इसी कारण लड़कियों में पीरियड्स ज्यादा आने लगे हैं. हालांकि इसके पीछे कुछ हद तक पर्यावरणीय कारण भी जिम्मेदार है.
शुरुआती 3 महीनों में दवा लेना ज्यादा नुकसान
दक्षिण कोरिया के हानयांग यूनिवर्सिटी गुरी हॉस्पिटल और मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया. इसमें 0 से 12 महीने की उम्र के 3.2 लाख से अधिक बच्चों के मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया और फिर लड़कियों को 9 साल और लड़कों को 10 साल की उम्र तक ट्रैक किया गया. अध्ययन में पाया गया कि जिन लड़कियों को 3 महीने की उम्र से पहले एंटीबायोटिक दी गई, उनमें जल्दी पीरियड्स आने का जोखिम 33 प्रतिशत अधिक थी और जो लड़कियां जन्म के 14 दिनों के अंदर एंटीबायोटिक के संपर्क में आईं, उनमें यह खतरा 40 प्रतिशत तक अधिक पाया गया. इतना ही नहीं जितनी बार एंटीबायोटिक दी गई उतना ज्यादा खतरा भी सामने आया. जिन बच्चियों को शिशु अवस्था में 5 या उससे अधिक तरह की एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं, उनमें जल्दी यौवन आने का खतरा 22 प्रतिशत अधिक थी. दिलचस्प बात यह रही कि यह असर लड़कों में नहीं देखा गया जिससे यह संकेत मिलता है कि लड़कियों और लड़कों के शरीर की प्रतिक्रिया अलग हो सकती है.
सोच-समझकर दवाएं दें
शोध से जुड़े डॉ. युनसू चोए ने बताया कि यह अध्ययन अपने आप में पहला है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के डाटा के आधार पर यह देखा गया कि दवा का समय, मात्रा और प्रकार बच्चों के शारीरिक विकास को कैसे प्रभावित कर सकता है. इस शोध का निष्कर्ष साफ है कि शिशुओं में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर और ज़रूरत पड़ने पर ही करना चाहिए क्योंकि अगर इनका अधिक या अनावश्यक उपयोग किया गया तो यह बच्चे के विकास पर दीर्घकालिक और हानिकारक असर डाल सकता है.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
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