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Health. बच्चों की हाइट (लंबाई) एक शारीरिक प्रोसेस है. जो कि बच्चों की 15-17 साल की उम्र में एकदम बढ़ जाती है. लेकिन कई बार इस बात को भी लेकर माता-पिता अक्सर चिंतित रहते हैं, और इसी चिंता में कई बार बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां या सप्लिमेंट्स देना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर भी डाल सकती है? अगर आप भी बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए दवाइयां खिला रहे हैं, या दवाइयां देने का सोच रहे हैं, तो ज़रा रुकिए और पहले ये नुकसान जान लीजिए. क्योंकि आप कहीं बच्चे को फायदा देने के वजाय कहीं उसका नुकसान न कर दें. तो आइए जानें.
1. हार्मोनल असंतुलन
हाइट बढ़ाने वाली कई दवाओं में ग्रोथ हार्मोन होते हैं. अगर इन्हें बिना डॉक्टरी निगरानी के दिया जाए, तो ये शरीर के नैचुरल हार्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं. इससे भविष्य में थाइरॉइड, प्यूबर्टी में दिक्कत या अन्य हार्मोनल बीमारियां हो सकती हैं.
2. किडनी और लिवर पर असर
कुछ दवाओं में ऐसे केमिकल्स होते हैं जिन्हें लिवर और किडनी को प्रोसेस करना पड़ता है. लगातार इनका सेवन करने से इन अंगों पर बोझ बढ़ता है, जिससे लंबे समय में डैमेज हो सकता है.
3. मानसिक विकास पर असर
कुछ दवाएं बच्चों के मस्तिष्क के विकास पर भी असर डाल सकती हैं. उनमें चिड़चिड़ापन, ध्यान की कमी, नींद की समस्या जैसी दिक्कतें आ सकती हैं.
4. नैचुरल ग्रोथ प्रक्रिया में रुकावट
शरीर की लंबाई बढ़ने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है, जो आनुवांशिकता, पोषण और जीवनशैली पर निर्भर करती है. जब हम बाहर से दवाइयों से इसमें दखल देते हैं, तो यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है.
5. नकली या घटिया क्वालिटी की दवाओं का खतरा
बाजार में मिलने वाली कई “हाइट बढ़ाने वाली दवाएं” बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के बेची जाती हैं. इनमें से कुछ तो फर्जी या घटिया भी हो सकती हैं, जो बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती हैं.
बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए क्या करें?
1. संतुलित आहार दें: दूध, दालें, हरी सब्ज़ियां, फल, ड्राई फ्रूट्स ज़रूर शामिल करें.
2. शारीरिक गतिविधियां: तैराकी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल और रस्सी कूद जैसी एक्टिविटी मददगार होती हैं.
3. अच्छी नींद: रोज़ 8-10 घंटे की गहरी नींद शरीर की ग्रोथ में मदद करती है.
4. धूप: विटामिन D के लिए रोजाना कुछ देर सुबह की धूप में रहना ज़रूरी है.
अगर आपको भी अपने बच्चे की हाइट को लेकर सच में चिंता होती है, तो बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) या एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से भी सलाह ले सकते हैं.
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