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Cowpea farming tips : समझदार किसान बाजार की नब्ज जानता है. इसी के हिसाब से खेती करता है और उसी खेती से पैसे पीटता है, जो कई किसानों के लिए घाटे का सौदा बन चुकी है. गोंडा का ये किसान यही कर रहा है.
गोंडा. हमारे यहां लोबिया (बोड़ा) की काफी खपत है. प्रगतिशील किसान बाजार की नब्ज जानते हैं और इसी के हिसाब से खेती करते हैं. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के विकासखंड रुपईडीह के धर्मराज यादव ऐसे ही किसानों में शामिल हैं. ग्राम सभा केवलपुर के रहने वाले धर्मराज यादव लोबिया की खेती करके सालाना लाखों की इनकम पैदा कर रहे हैं. लोकल 18 से बातचीत में कहते हैं कि पहले पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन उसमें लागत अधिक थी और मुनाफा कम. फिर सोचा क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिसमें लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा.
टीचिंग के साथ खेती
किसान धर्मराज बताते हैं कि काफी सोच विचार के बाद उन्होंने बोड़ा की खेती शुरू की. पहले इसकी खेती जमीन पर करते थे, लेकिन पानी संस्थान ने मचान विधि पर बोड़ा की खेती के बारे में बताया. इसके बाद मचान विधि से बोड़ा की खेती करने लगे. आज सालाना लाखों रुपये पीट रहे हैं. प्रगतिशील किसान धर्मराज यादव बताते हैं कि वे बोड़ा के खेती तीन-चार साल से कर रहे हैं. पहली बार मचान विधि का यूज किया है. किसान धर्मराज ने ग्रेजुएशन और बीटीसी कर रखा है. बाद में उनकी नियुक्ति गांव के प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षामित्र के पद पर हो गई. टीचिंग के उन्हें खेती का भी शौक है.
तीन महीने की खेती
किसान धर्मराज बताते हैं कि मचान विधि से खेती का बारिश के मौसम में काफी फायदा होता है, क्योंकि जमीन पर जलभराव हो जाने के कारण फसल खराब हो जाती है. मचान विधि पर फसल ऊपर रहती है, इसलिए खराब नहीं होती है. इस बार वे एक बीघा में बोड़े की खेती कर रहे हैं. किसान धर्मराज के अनुसार, एक बीघे में चार से 5 हजार रुपये की लागत आई है. बाड़े की खेती 3 महीने की होती है. 3 महीने में एक बीघा से 80 हजार से 1 लाख रुपये का टर्नओवर हो जाता है.
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