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Bahraich News: किसानी का काम आसान तो बिल्कुल भी नही है. उन्हें कई चीजों पर निर्भर रहना पड़ता है. प्रकृतिक पर उनकी काफी ज्यादा निर्भरता होती है.

टमाटर की खेती से किसानों का नुकसान!
बहराइच: एक तरफ तो सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करती है तो दूसरी तरफ किसान फसल और सब्जियों की सही कीमत न मिलने के कारण हर साल घाटा खा जाते हैं. किसान इस घाटे के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. बहराइच के किसानों को इस बार बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है. टमाटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि मंडी में टमाटर की सही कीमत नहीं मिल रही है. उनका कहना है कि 1 रुपये किलो तक कीमत नही मिल रही है. ऐसे में किसान खेत में लगी फसल को जोतने पर मजबूर हैं.
टमाटर में नुकसान कैसे?
दरअसल, बहराइच तराई का इलाका है और इस इलाके में गेहूं, धान और मक्के की हर साल अच्छी पैदावार की जाती है. यहां बहुत किसान ऐसे भी हैं जो सब्जियों की खेती करते हैं. पिछली बार टमाटर का रेट अधिक हो जाने के कारण इस बार अच्छे मुनाफे के लिए बहुत किसानों ने गेहूं की जगह टमाटर की खेती की. इससे टमाटर की उपज अधिक हो गई और मंडी में रेट गिर गया. भाव इतना गिर गया कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं. किसानों का कहना है टमाटर का भाव ₹1 प्रति किलोग्राम के हिसाब से भी नहीं मिल पा रहा है. हमारा बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है और सरकार भी किसानों को राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है. अभी हाल फिलहाल में गोभी की खेती में भी किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानों ने तो गोभी के खेत में फसल लगी हुई जोत दी. अब लोग टमाटर को लेकर परेशान हैं.
टमाटर की खेती में कितना आता है खर्चा
तराई इलाके में टमाटर की तैयारी तीन से चार महीने में बड़े आराम से हो जाती है. अगर लागत की बात करें तो एक हेक्टेयर में 50 से 60 हजार लागत बड़े आराम से आ जाती है. इसके बाद इसकी तोड़ाई और मंडी पहुंचने का खर्च अलग से आता है. इतनी लागत लगाने के बाद भी सोचिए कि अगर किसान को मुनाफा छोड़िए उसकी लागत ही ना मिल पाए तो किसान के ऊपर क्या गुजरेगी. उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच के करमोहन गांव में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है जहां बड़े पैमाने पर किसानों का नुकसान हुआ है. किसानों का साफ तौर पर कहना है,सरकार जहां एक और किसान की आय दोगुनी करने का दावा करती है वहीं धरातल पर किसान बड़े पैमाने पर बहुत परेशान हैं. किसानों को उनकी फसलों का मुनाफा छोड़िए लागत तक नहीं मिल पा रही है.
करमोहना गांव के ही रहने वाले अवध बिहारी ने बताया कि बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती अबकी बार किए हैं जो लगभग 5 एकड़ एरिया होगा. उनका कहना है कि टमाटर को कोई पूछ नहीं रहा है. इस वजह से खेत में लगे टमाटर की जुताई करनी पड़ेगी. इसमें बड़ा नुकसान हो रहा है. इनका कहना है कि अगर सरकार चाहती तो किसानों का नुकसान ना होता. सरकार आयात निर्यात का दायरा बढ़ाती तो ऐसी स्थिति न आती. टमाटर से बहुत सारे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. टमाटर के जेम्स और चटनियां भी बनती हैं. उनका तो रेट कभी नहीं कम होता है. सरकार अगर प्रोसेसिंग यूनिट अपने जिले में लगाई होती तो टमाटर की खपत अच्छी होती और हम लोगों का नुकसान ना होता.
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