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कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद गाजियाबाद की महिलाओं ने पाकिस्तानी फैशन का बहिष्कार किया. पाकिस्तानी कपड़ों की बिक्री में 60-80% गिरावट आई है. स्थानीय कारीगरों को नया काम मिला है.

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बाजारों में पाकिस्तानी डिज़ाइन की मांग घटी, देसी फैशन को मिला नया जीवन

मेड इन इंडिया’ बना नई पहचान, पाकिस्तानी कपड़ों की बाजार से विदाई

गाजियाबाद. कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में रोष की लहर देखी गई. इस घटना का असर अब बाजारों तक भी पहुंचने लगा है। गाजियाबाद की महिलाओं ने फैशन में भी एक कड़ा संदेश देते हुए पाकिस्तान फैशन से किनारा कर लिया है। जहां पहले शरारा-गरारा और पाकिस्तानी सूट्स की डिमांड चरम पर थी, वहीं अब इन कपड़ों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। गाजियाबाद के प्रमुख बाजारों , जैसे गांधी नगर, तुराब नगर और गोल मार्केट में पहले हर दुकान पर पाकिस्तानी डिज़ाइन के कपड़े सजे रहते थे पर अब दुकानदारों का कहना है कि महिलाएं खुलकर ऐसे कपड़ों को खरीदने से इनकार कर रही हैं। पाकिस्तान की चिकनकारी, भारी कढ़ाई और फिल्मी शरारा-गरारा अब स्टोर की शेल्फ पर ही धूल खा रहे हैं।इन कपड़ों की बिक्री 60-80% तक गिरावट आई है। गांधीनगर निवासी श्वेता सिंघल का कहना है कि महिलाएं अब हम सिर्फ देश में बना हुआ कपड़ा पहनना पसंद करती हैं। ऐसी ही भावना अन्य महिलाओं में भी देखने को मिल रही है। खासकर युवतियों में ‘मेड इन इंडिया’ टैग को लेकर नया उत्साह देखा जा रहा है।

कारीगरों को मिला संबल

इस बदले हुए रुझान का एक सकारात्मक असर यह भी हुआ है कि स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को नया काम और पहचान मिल रही है। खादी, बनारसी, चंदेरी, तांत और बूटेदार सूट्स की बिक्री में लगभग 60 से 70% की बढ़त दर्ज की गई है।

फैशन के बहाने देशभक्ति

फैशन अब सिर्फ स्टाइल का नहीं, सोच का हिस्सा बनता जा रहा है। देश के हालात और भावनाएं अब कपड़ों की पसंद में भी दिख रही हैं। महिलाएं सिर्फ खूबसूरती ही नहीं,संवेदनशीलता और देशप्रेम का प्रदर्शन भी अपने पहनावे से कर रही हैं।

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बाजारों में पाकिस्तानी डिज़ाइन की मांग घटी, देसी फैशन को मिला नया जीवन<br>

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