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बरसात का मौसम जहां एक ओर सुकून देता है, वहीं यह कई बीमारियों और त्वचा संबंधी समस्याओं को भी जन्म देता है. ऐसे में नीम एक प्राकृतिक औषधि के रूप में काम करता है, जो न सिर्फ शरीर को रोगों से बचाता है बल्कि सौंदर्य को भी बनाए रखता है. नीम के नियमित प्रयोग से बरसात के मौसम में स्वस्थ और चमकदार त्वचा और बाल पाए जा सकते हैं.

बरसात के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ने के साथ बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपते हैं. ऐसे में नीम का पेड़ एक प्राकृतिक डॉक्टर की तरह काम करता है. इसकी पत्तियों, छाल और तेल में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो शरीर को अंदर और बाहर से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं. आयुर्वेद में नीम को संजीवनी बूटी की तरह माना गया है जो कई तरह की बीमारियों में रामबाण का काम करता है.

बारिश में गीली मिट्टी, पसीना और गंदगी के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे खुजली, फंगल इन्फेक्शन और रैशेज आम हो जाते हैं. नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने पर त्वचा को ठंडक मिलती है और संक्रमण से बचाव होता है. इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं. नीम स्नान त्वचा को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ और चमकदार बनाता है.

मानसून के दौरान सर्दी-खांसी और जुकाम आम समस्या है. ऐसे में नीम के पत्तों की भाप लेना बेहद फायदेमंद होता है. इसकी भाप सांस नली को साफ करती है और गले की सूजन को कम करती है. नीम में एंटीवायरल गुण भी होते हैं जो वायरस के संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं. इसके साथ ही नीम की पत्तियों को पीसकर उनका काढ़ा पीने से इम्युनिटी भी मजबूत होती है.

बरसात के मौसम में मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है जिससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का खतरा रहता है. नीम के पत्तों को जलाकर उसका धुआं कमरे में करने से मच्छर भाग जाते हैं. इसके अलावा नीम का तेल शरीर पर लगाने से मच्छर पास नहीं आते. घर के कोनों में नीम की पत्तियां रखने से कीड़े-मकोड़े भी नहीं आते. यह एक नेचुरल रिपेलेंट की तरह काम करता है.

मानसून में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. नीम का सेवन करने से शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं. रोजाना नीम के 4-5 कोमल पत्ते चबाने से खून साफ होता है और शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनता है. नीम का जूस भी बहुत प्रभावी माना गया है. यह पूरे शरीर को डिटॉक्स करता है.

बरसात में बाल झड़ना, डैंड्रफ और स्कैल्प इन्फेक्शन आम हो जाता है. नीम के पत्तों को उबालकर बाल धोने से स्कैल्प को ठंडक मिलती है और डैंड्रफ खत्म होता है. यह बालों की जड़ों को मजबूत करता है और नई ग्रोथ को बढ़ावा देता है. नीम का तेल भी स्कैल्प मसाज के लिए बहुत उपयोगी होता है. यह बालों को प्राकृतिक रूप से चमकदार और मजबूत बनाता है.

मानसून में चेहरे पर मुंहासे और ऑयली त्वचा की समस्या बढ़ जाती है. नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से पिंपल्स जल्दी ठीक हो जाते हैं. यह चेहरे से गंदगी और बैक्टीरिया हटाता है. नीम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व चेहरे के दाग-धब्बों को भी धीरे-धीरे कम करते हैं. नीम फेसपैक त्वचा को अंदर से साफ करता है और एक प्राकृतिक निखार देता है.

बरसात के मौसम में नीम का प्रयोग हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. यह न केवल रोगों से बचाता है बल्कि वातावरण को भी शुद्ध करता है. इसका नियमित उपयोग करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और त्वचा तथा बाल स्वस्थ रहते हैं. नीम वास्तव में एक नेचुरल डॉक्टर है जो बिना साइड इफेक्ट के कई समस्याओं का समाधान देता है.
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