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कहलगांव का अद्भुत पर्यटन स्थल
तीन पहाड़ियों की है अलग-अलग कहानी
पहली पहाड़ी शांति बाबा पहाड़ है, दूसरी बंगाली बाबा पहाड़ और तीसरी पंजाबी बाबा पहाड़ है. इन पहाड़ियों के नाम बाद में पड़े, पहले ये बुद्धा आश्रम, तापस आश्रम और नानकशाही आश्रम के रूप में जाने जाते थे. इन तीनों पहाड़ियों का स्वरूप इतना अलौकिक है कि सैलानी यहां खिंचे चले आते हैं.
गंगा के जिस हिस्से से लोग यहां पहुंचते हैं. वह विक्रमशिला गंगेटिक डॉलफिन सेंच्युरी भी है, जहां डॉलफिन खेलती नजर आती हैं. इसका भी लोग खूब आनंद उठाते हैं. गंगा का जलस्तर बढ़ने पर तीन पहाड़ियां अलग-अलग दिखती हैं, और जब जलस्तर घट जाता है तो यह स्थान रमणीक हो जाता है. यह पूरी तरह आइलैंड बन जाता है और ड्रोन व्यू से यह और भी अद्भुत दिखता है. यहां लाखों लोग हर साल गुफा और मंदिर के दर्शन तथा प्रकृति की गोद में शांति की तलाश में पहुंचते हैं. इस स्थान की अलौकिकता तब और बढ़ जाती है. जब इन पहाड़ियों से टकराकर गंगा की कलकल धारा बहती है.
सरकार अब इस स्थान को रॉक कट टेंपल के रूप में सुरक्षित घोषित करने जा रही है. कला संस्कृति एवं युवा विभाग की पहल पर इन पहाड़ियों की जांच होगी और इसे बिहार प्राचीन पुरातत्व अवशेष व कलानिधि अधिनियम 1976 के तहत अधिसूचित घोषित किया जाएगा. यहां आने के लिए आपको पहले कहलगांव पहुंचना होगा. वहां से राजघाट या बटेश्वर स्थान घाट से लोग नाव के जरिए यहां पहुंचते हैं.
कोलकाता की ओर से आने वाले सैलानी गंगा नदी से साहेबगंज के रास्ते कहलगांव पहुंचते हैं. दूसरे किनारे पर नवगछिया तीनटंगा है. जहां से नाव के जरिए भागलपुर से नाव, ट्रेन और गाड़ियों से लोग पहुंचते हैं. विदेशों से सैलानी बंगाल की ओर से गंगा नदी में क्रूज या जहाज और ट्रेनों के माध्यम से यहां तक पहुंचते हैं.
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