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Bahraich News Today in Hindi: जब लोगों को अपने बेडरूम के अलावा दूसरी जगह नींद नहीं आती है ऐसे में अपने घर से दूर जाकर दूसरी जगह बसना आसान नहीं है.

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बिहार से आकर यूपी में बसा दिया ‘संसार,’ नाम पड़ा बिहारियों का गांव

यूपी के इस गाँव को बसाया बिहारियों ने!

बहराइच: आजादी के बाद सन् 1952 में बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले एक शख्स ने पेपर में इश्तिहार देखा कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सरकार रहने के लिए जमीन का पट्टा आवंटित कर रही है. सूचना पढ़ने के बाद बिहार के बक्सर जिले से एक शख्स बहराइच आए और बहराइच के करमोहना गांव में अपने नाम उन्होंने जमीन आवंटित कराई. इसके बाद धीरे-धीरे लोग बढ़ते गए. इससे यह गांव बिहारियों का गांव कहा जाने लगा. आज इस गांव की जनसंख्या लगभग दो से ढाई हजार है. यहां सभी के सभी बिहारी हैं. इन सभी का आज भी बिहार से नाता है.

बिहार से पहले आये यह शख्स?
यहां रहने वाले लोगों ने अपना मुख्य व्यवसाय खेती को बनाया है. खेती पर ही यहां के सभी लोग निर्भर हैं. आजादी के बाद इश्तिहार देख बिहार के बक्सर से सबसे पहले बाबू रामगिरि नाम के शख्स यहां आए. बात चीत में लोगों ने बताया कि बाबू रामगिरि एक पढ़े लिखे व्यक्ति थे और आजादी के बाद सूचना पाकर बिहार से बहराइच आये. उन्होंने अपने साथ कई लोगों को लाकर बसाया. शुरुआत में इस गांव में तीन लोगों की आबादी थी. धीरे-धीरे तीन से छह हुए और आज इस गांव में लगभग दो से ढाई हजार लोगों की आबादी रहती है. शुरुआती दौर में मकान कच्चे हुआ करते थे. आज बहुत सारे घर ऐसे भी हैं जो ईंट के पक्के मकान में तब्दील हो चुके हैं. लोग अपना जीवन यापन किसान कर बिताते हैं. अब धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है. सरकार की कई अन्य सुविधाएं भी गांव में पहुंची हैं. गवर्नमेंट जॉब करने वाले भी कई लोग इस गांव में आए हैं.

शुरुआत में इस गांव का था कुछ ऐसा नजारा

बिहार से आए मूलनिवासियों ने बहराइच के करमोहना गांव में बसने को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआती दौर में यह गांव चारों ओर जंगलों से घिरा हुआ था. यहां कई जंगली जीव घूमते नजर आते थे और काफी खतरा बना रहता था. इसके साथ ही डेंगू जैसी समस्या भी लगातार बनी हुई थी. इसे लेकर बहुत से लोग वापस बिहार लौट गए तो कुछ लोगों ने हिम्मत बांधकर यहीं पर रहकर अपनी जिंदगी काटी.

धीरे-धीरे लोग बिहार से आते गए और जंगल को काटकर एक गांव का रूप देते गए. आज यह गांव सुंदर दिखता है. यहां सरकारी विद्यालय से लेकर बिजली का भी इंतजाम है. यह गांव बाढ़ प्रभावित है और हर साल यहां रहने वाले लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है. गांव जाने वाला रास्ता खंडहर में तब्दील हो गया है. इससे आने-जाने वाले लोगों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है. जहां 20 से 25 किलोमीटर का सफर 10 से 15 मिनट में बड़े आराम से कर लेते हैं वहीं यहां 20 से 25 किलोमीटर का सफर करने के लिए आपको घंटों समय और ईंधन बर्बाद करना पड़ेगा.

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बिहार से आकर यूपी में बसा दिया ‘संसार,’ नाम पड़ा बिहारियों का गांव

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