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बीमारियों से सरसों की फसल को बचाने का जादूई तरीका, जानें पूरा प्रोसेस

प्रोफेसर डा. शैलेंद्र सिंह गौरव ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप में जांच के समय 60 से 90 नैनोमीटर के बेहद छोटे अलग-अलग आकार के नैनो पार्टिकल बनाए गए, जिसमें सरसों के पत्तों पर एक मिली मूलर और 2 मिली मोलर के घोल का 50 से 75% और 100 पीपीएम का छिड़काव किया गया, जिसमें 50% तक कमी आई है. वहीं रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में 20% अधिक पैदावार मिली है. उन्होंने बताया कि इस प्रकार की ग्रीन सिंथेसिस, नैनो पेस्टिसाइड दवा को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि यह स्वास्थ्य और किसान की आय दोनों के लिए काफी बेहतर है.

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