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ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बस एक ही नाम सबकी जुबान पर था और वो नाम है जसप्रीत बुमराह. पर टीम इंडिया के बारत पहुंचते ही ना तो किसी ने उनके प्रयास की बात की और ना ही उनके नाम को लेकर कोई हलचल नजर आई. सवाल…और पढ़ें

बुमराह चुका रहे है बॉलर होने की कीमत, बाजार अभी भी बल्लेबाजों के साथ

क्या बुमराह को बतौर ब्रांड नहीं स्वीकार करेगा बाजार ?

मेलबर्न .  आज के दौरे में पूरी दुनिया में एक एथलीट की ब्रांड वैल्यू उसके प्रदर्शन से जुड़ी होती है . लेकिन अब तक सभी फॉर्मेट में भारत के सबसे बड़े क्रिकेटर, जसप्रीत बुमराह के साथ ऐसा नहीं हुआ है. इस समय भारत का रेड-बॉल क्रिकेट में सबसे बड़ा मैच विनर कौन है कौन है ? सभी फॉर्मेट की भी बात करें तो भारत का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कौन है? इसका जवाब भी अधिकांश लोगों को पता होगा और वो है जसप्रित बुमराह. बुमराह विश्व के के नंबर वन गेंदबाज हैं और दुनिया भर में उनकी तूती बोलती है. फिर भी,वह भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा ब्रांड नहीं है. यदि आप भीड़ खींचने वालों या बाजार में अधिक पैसा कमाने वाले लोगों को देखें, तो आप पाएंगे कि बुमराह निचले क्रम में हैं. विराट कोहली, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, शुभमन गिल और फिर, शायद, केएल राहुल के साथ बुमराह.

वैसे फैंस के मन में ये सवाल जरूर होगा कि आपके सबसे अच्छा खिलाड़ी की ही  सबसे बड़ी ब्रांड वैल्यू हो. ये बात तब और अहम लगती है जब बात बुमराह की जैसे बड़े मैच विनर की हो जिसके लिए गेंद का रंग कोई मायने नही रखता.सवाल ये भी खड़ा होता है कि बुमराह एक गेंदबाज है क्या इसलिए उनको वो अहमियत नहीं मिलती जो बल्लेबाजों को मिलती रही है .भारतीय क्रिकेट में यह हमेशा से बल्लेबाजों की बड़ी ब्रैंड वैल्यू रही है शायद इसीलिए सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग या वीवीएस लक्ष्मण अनिल कुंबले से बड़े ब्रांड थे, जो भारत के सबसे बड़े मैच विजेताओं में से एक थे। रविचंद्रन अश्विन के बारे में भी यही कहा जा सकता है. इसमें कोई बहस नहीं है कि अश्विन पिछले डेढ़ दशक में भारत के सबसे बड़े मैच विजेताओं में से एक थे. और फिर भी उन्हें कोहली या रोहित या हार्दिक पंड्या के समान ब्रांड वैल्यू नहीं दी गई.

बुमराह क्यों नहीं बने ब्रांड !

जसप्रीत बुमराह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मैन आफ दि सीरीज बने फिर भी बाज़ार में उनको बड़े ब्रांड के तौर पर क्यों नहीं देख पा रहा. यहीं धमाकेदार प्रदर्शन किसी भारतीय बल्लेबाज खासतौर पर विराट कोहली या रोहित शर्मा ने किया होता तो मार्केट में भूचाल आ जाता. लोग हाथों हाथ उनको बतौर ब्रांड अपनाने को तैयार होते.हमने हमेशा महसूस किया है कि ब्रांड वैल्यू का सीधा संबंध प्रदर्शन से है. आप ओलंपिक पदक जीतते हैं और आप अपने घर में एक ब्रांड बन जाते हैं। लेकिन मनु भाकर और नीरज चोपड़ा को छोड़कर ओलंपिक में कोई भी पदक विजेता ब्रांड नहीं बन पाया है. चाहे सरबजोत सिंह हों, अमन सहरावत हों या स्वप्निल कुसाले, इनमें से कोई भी ओलंपिक पदक जीतने के बावजूद भारत में पोस्टर बॉय नहीं बन पाया है.।जहां तक ​​​​बुमराह की बात है तो मुझे लगता है कि अगले तीन से चार साल उनके होंगे। कोहली और रोहित दोनों अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं, ऐसे में बुमराह निश्चित रूप से निकट भविष्य में भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा ब्रांड हैं। बुमराह की सबसे बड़ी खासियत ये है कि कि उनके कंधों पर एक बहुत स्थिर दिमाग है, वो अपने खेल और शरीर को बहुत अच्छी तरह से समझते है पर सवाल बड़ा यहीं खड़ा हो जाता है कि क्या बाजार बुमराह को बतौर ब्रांड स्वीकारने को तैयार है .

बुमराह के सामने चुनौती

आज के दौर में जब विराट कोहली और रोहित शर्मा के करियर को लेकर फैंस के मन में संशय बना हुआ है उसी तरह से बाजार के मन में भी ब्रांड वैल्यू वाले खिलाड़ी को लेकर बहुत चिंता है. एक समय था जब ऋषभ पंत, शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल और यहां तक कि रिंकु सिंह को भी भविष्य के ब्रैंड के तौर पर देखा जा रहा था पर लगातार फेल होने के कारण इनकी मार्केट वैल्यू कम हुई है . जायसवाल को छोड़कर कोई भी युवा खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अपना असर नहीं छोड़ पाया इसीलिए जब बतौर ब्रांड बाजार किसी की तरफ देखता है तो सिर्फ बुमराह नजर आते है पर सवाल वहीं आकर खड़ा हो जाता है कि जब श्रीनाथ, जहीर खान ,अनिल कुंबले , आर अश्विन जैसे बड़े मैच विनर बड़ा ब्रैंड नहीं बन पाए तो जसप्रीत बुमराह को उनकी तमाम सफलताओं के बदले क्या मिलेगा इसका इंतजार सबको रहेगा.

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