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Diabetes Related Foot Problem: जब शुगर बेलगाम होने लगे तो पैरों की नसें डैमेज होने लगती है. इससे पैरों में एक साथ कई परेशानियां हो सकती है. आखिर इससे कैसे बचें, इसके लिए न्यूज 18 ने मारेंगो एशिया हेल्थकेयर, गुड…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- डायबिटीज से पैरों की नसें डैमेज हो सकती हैं.
- डायबेटिक न्यूरोपैथी से पैरों में दर्द और सुन्नपन बढ़ता है.
- शुगर कंट्रोल और वजन नियंत्रण से समस्या कम हो सकती है.
Diabetes Related Foot Problem: भारत में करीब 10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं लेकिन मुश्किल ये हैं कि इनमें से करीब आधे लोगों को पता ही नहीं कि उनके शरीर में डायबिटीज की बीमारी पल रही है. इस कारण डायबिटीज बेलगाम होती जाती है और यहां तक कि नसों को फाड़ने लगती है. अगर किसी को यह पता नहीं है कि उसे डायबिटीज है तो शुगर अनकंट्रोल्ड होने लगेगी. चूंकि शुगर खून में बढ़ जाती है, इसलिए यह आगे जाकर नसों को डैमेज करने लगती है. ऐसी स्थिति में पैरों में कई परेशानियां जन्म ले लेती है. लोग इसके लिए केमिस्ट की दुकान से दवा ले लेते हैं लेकिन असली कारण का पता नहीं लगाते. दरअसल, इसके लिए डायबेटिक न्यूरोपैथी जिम्मेदार होती है. इसी विषय पर न्यूज 18 ने डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. पारस अग्रवाल से बात की.
क्यों बढ़ जाती है पैरों की परेशीनी
मारेंगो एशिया हेल्थकेयर, गुड़गांव में डिपार्टमेंट ऑफ डायबेट्स एंड ओब्सिटी के डायरेक्टर एंड हेड डॉ. पारस अग्रवाल ने बताया कि अगर किसी को अनकंट्रोल्ड डायबिटीज है तो उसे पैरों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. आमतौर पर यह तब होता है जब फास्टिंग ब्लड शुगर 200 से ज्यादा हो जाती है और एचबी1एसी 7.5-8 तक से बढ़ जाती है. इस स्थिति में पैरों में जो नसें जाती हैं वह डैमेज होने लगती है. इस कारण पैरों की स्किन में ड्राइनेस होने लगती है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इसे डायबेटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है. डायबेटिक न्यूरोपैथी में सबसे अधिक फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है जो आसानी से ठीक नहीं होता. चूंकि स्किन के ड्राई रहने से वहां पसीना नहीं जा पाता. पसीना स्किन के लिए डिफेंसिव लाइन यानी सुरक्षा कवच है. जैसे ही सुरक्षा कवच टूटा वैसे ही सूक्ष्मजीवों का आक्रमण शुरू हो जाता है. ऐसे में पैरों में कई तरह की परेशानियां होने लगती है.
क्या-क्या होती हैं परेशानियां
डॉ. पारस अग्रवाल ने बताया कि जब नसें डैमेज होगी तो पैरों में दर्द बढ़ेगा क्योंकि खून की सप्लाई वहां तक ठीक से नहीं पहुंचेगी. दूसरी ओर नसें डैमेज होने की स्थिति में पैरों में सुन्नापन आ सकता है. इस कारण आप घास पर चल रहे हैं या पैरों में जूता काट रहा है इसका फीडबैक ही नहीं आएगा. स्किन हार्ड होने पर स्किन में क्रेक बनने लगेंगे. पैरों में क्या हो रहा पता नहीं चलेगा. पैरों के नाखून पतले और पीलापन लिए आएंगे. अंगूठे वाले नाखून में इंग्रो बनने लगेंगे. इससे दर्द बढ़ेगा. पैरों के तलवे में बर्निंग सेंसेशन होने लगेगा. ऐसा लगेगा कि तलवे आग में तप रहे हैं. पैरों में घाव निकलने लगेंगे. पैरों में कॉर्न कैलुसेज बनने लगेंगे. इसमें स्किन एक ही जगह पर भरने लगेगी और यह बहुत ज्यादा हार्ड होने लगेगी. अगर शुगर बहुत ज्यादा हो गई है तो पैरों में डिफॉर्मिटी भी आ जाती है.
क्या है इलाज
डॉ. पारस अग्रवाल ने बताया कि इसका तात्कालिक इलाज तो है लेकिन इसमें मुख्य रूप से शुगर को कंट्रोल करना जरूरी है. अगर पैरों में इस तरह की परेशानी है और आपको पता नहीं है कि आपको डायबिटीज है तो सबसे पहले शुगर की जांच कराएं. अगर शुगर ज्यादा है तो तुरंत डायबेटोलिजिस्ट से मिलें. आपको तुरंत दवाई शुरू करने की जरूरत है. इसके अलावा आपको वजन पर सबसे पहले नियंत्रण करना है डाइट पर कंट्रोल करना है. अब से आप बाहर का खाना न के बराबर खाएं. कोई भी ऐसी चीज जिसमें तेल या फैट की मात्रा ज्यादा है, चीनी या नमक की मात्रा ज्यादा है, ज्यादा तली-भुनी है, उसका सेवन न करें. इनकी जगह रोज हरी पत्तीदार सीजनल सब्जियों और फलों का सेवन करें. घर का खाना खाएं. इसके बाद रोज व्ययाम करें.
February 03, 2025, 17:40 IST
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