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Skip Night Eating: देर तक एक ही जगह शिफ्ट करने के कारण हार्ट अटैक का खतरा होता है. अब एक अध्ययन में बताया गया है कि शिफ्ट से संबंधित हार्ट अटैक को कम किया जा सकता है बशर्ते रात में एक काम छोड़ना होगा.

बेलगाम शिफ्ट से हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा, रात में एक चीज छोड़ दें, सब कुछ हो जाएगा ठीक

शिफ्ट वर्क के कारण हार्ट अटैक का खतरा.

Skip Night Eating: हमारा वर्क कल्चर ऐसा हो गया है कि हमें कई-कई शिफ्ट में काम करने होते हैं. किसी को एकदम तड़के से शिफ्ट पर जाना होता है तो किसी को देर तक शिफ्ट करनी होती है. इस शिफ्ट के कारण एक नहीं कई नुकसान होते हैं. सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसमें दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है कि जिसके कारण कभी हार्ट अटैक होने का डर रहता है. अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि शिफ्ट से संबंधित जो हार्ट अटैक की परेशानियां होती हैं उसे अगर रात में एक काम न किया जाए तो यह खतरा टल सकता है. यह काम है रात को खाना छोड़ देना. यानी अगर आप रात में खाना नहीं खाते हैं तो शिफ्ट से संबंधित हार्ट अटैक के जोखिम को कम कर सकते हैं.

जैविक घड़ी के तालमेल की कमी
मास जर्नल ब्रिघम के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि अगर रात में खाना खाने से व्यक्ति में हार्ट से संबंधित दिक्कतें बढ़ जाती है. अध्ययन में कहा गया है कि लोग कब खाना खाते हैं, यह इस बात से भी बड़ा जोखिम कारक हो सकता है कि वे कब सोते हैं. एजेएल के प्रोफेसर फांक ने बताया कि हमारे पहले के अध्ययन में पाया गया था कि हमारी दिनचर्या का अगर आंतरिक जैविक घड़ी से तालमेल नहीं होता है तो इससे हार्ट से संबंधित खतरा बढ़ जाता है. इसे सार्केडियन रिद्म कहते हैं. इसलिए नए शोध में यह समझने की कोशिश की गई है कि शिफ्ट से संबंधित खतरे को कैसे कम किया जा सके.

हर तरह की मुश्किलें कम
इस अध्ययन में शिफ्ट में काम करने वाले कुछ लोगों को शामिल किया गया और इनकी दिनचर्या पर दो सप्ताह तक नजर रखी गई. शिफ्ट के कारण इन लोगों की बॉडी के साथ जैविक घड़ी का तालमेल नहीं बैठ पाता था. अध्ययन के दौरान इन लोगों के पास समय देखने के लिए कोई साधन नहीं दिया गया. इसके अलावा कोई गैजेट्स भी नहीं दिए गए. दो सप्ताह के अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने यह देखा कि व्यक्ति के शरीर में किस तरह का परिवर्तन होता है. अध्ययन में शामिल लोगों को एक मद्धिम रोशनी वाले वातावरण में 32 घंटे तक जागते रहना पड़ा. वहीं एक ही पॉश्चर में रहना पड़ा और हर घंटे समान स्नैक्स का सेवन करना पड़ा. इसके बाद पाया गया कि इनमें कई तरह की परेशानियां आ गई. हालांकि इन लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम सबसे ज्यादा था. अब दो सप्ताह तक इन्हें दोबारा अध्ययन में शामिल किया गया. इसके बाद इसी तरह की शिफ्ट की गई है लेकिन अलग से मद्धिम रोशनी में नहीं पड़ती. अब इन्हें दो सप्ताह तक रात में खाना नहीं खाने के लिए कहा गया. फिर जब जांच की गई थी तो हार्ट से संबंधित जो खतरे थे, वह बेहद कम हो गए. इस प्रकार शिफ्ट से संबंधित जो भी जोखिम होता है वह कम हो जाता है.

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