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नई दिल्लीः बॉलीवुड अभिनेता सूरज पंचोली ने हिंदी फिल्म उद्योग की स्थिति पर खुलकर बात करना बंद कर दिया है. सिद्धार्थ कन्नन के साथ एक स्पष्ट बातचीत में, केसरी वीर स्टार ने आज की पीढ़ी के अभिनेताओं के बीच एकजुटता के धीरे-धीरे खत्म होने के बारे में खुलकर बात की. उनके विचार अनुभव और निराशा दोनों से भरे हुए हैं, जो जनता की नजर में एक दशक तक चली लड़ाई और जिया खान मामले में बरी होने के बाद अपनी पहली मुख्य भूमिका के साथ सिनेमा में वापसी से आकार लेते हैं.
टाइगर श्रॉफ को लेकर कही ये बात
अपने पिता की जनरेशन के बीच एक समय में जिस तरह के सौहार्द की वे प्रशंसा करते थे, उस पर बात करते हुए, सूरज ने टाइगर श्रॉफ से जुड़ा एक हालिया अनुभव साझा किया, जिसमें पुराने ज़माने के समर्थन की एक दुर्लभ झलक देखने को मिली. उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘मैंने टाइगर को फोन किया और उन्हें केसरी वीर के प्रीमियर पर इनवाइट किया. उन्होंने कोई सवाल नहीं पूछा, संकोच नहीं किया, वे बस आ गए. इसका बहुत मतलब था.’ ‘इससे मुझे याद आया कि हमारे पिता एक-दूसरे के साथ कैसे रहते थे. मेरे पिता, जैकी श्रॉफ, संजय दत्त, सुनील शेट्टी, धरम सर – वे लोग एक-दूसरे का साथ देते थे. अब ऐसा बंधन दुर्लभ है.’
बॉलीवुड में नहीं एकता
सूरज के अनुसार, आज इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा दरार है. उन्होंने कहा, ‘लोग किसी और के मुद्दों में शामिल नहीं होना चाहते. उस समय, अगर कोई मुसीबत में पड़ जाता था, तो हर कोई सामने आ जाता था जैसे चाहे वो लड़ाई हो, दुर्घटना हो या कोई विवाद हो. एकता की भावना थी लेकिन अब आप ऐसा नहीं देखते हैं.’ अब, हर कोई बहुत डरा हुआ है. कोई भी पंगा नहीं लेना चाहता. हर कोई सुरक्षित खेल रहा है. हर कोई कायर बन रहा है. यही तो है.’ उन्होंने आगे बताया कि डर सिर्फ शामिल होने के बारे में नहीं है जैसे यह इमेज मैनजमेंट और हमेशा मौजूद रहने वाले प्रतिक्रिया के खतरे के बारे में है. सूरज ने आगे कहा, ‘आजकल हर कोई ब्रांड के प्रति जागरूक है. किसी के लिए दिखना ‘आपकी छवि को प्रभावित कर सकता है’, इसलिए लोग परेशान नहीं होते. अगर वहां कैमरे हैं, अगर इससे वे अच्छे दिखते हैं तो वे आपके कार्यक्रम में आएंगे. लेकिन जब आप निराश होते हैं, या चुपचाप संघर्ष करते हैं, तो बहुत कम लोग चेक इन करेंगे. यही सच है.’
सूरज बोले, पहले के लोगों को नहीं थी पीआर की परवाह
सूरज ने बॉलीवुड के पुराने नामों की ओर इशारा किया, जिन्होंने बहुत अलग भावना को दर्शाया. उन्होंने कहा, ‘जैकी श्रॉफ, मेरे पिता आदित्य पंचोली, दत्त सर, सुनील शेट्टी- ये ऐसे लोग थे जिन्हें पीआर ऑप्टिक्स की परवाह नहीं थी. वे सच्चे, सच्चे थे और अपने लोगों का ख्याल रखते थे. मैंने धरम जी के बारे में कहानियाँ सुनी हैं कि वे अपने दोस्तों की रक्षा के लिए सचमुच लड़ाई में उतर जाते थे. आज उस तरह की निडरता गायब है. अभिनेता अब अनुपस्थित रहने की हद तक सावधान रहते हैं.’ उन्होंने आज के सपोर्ट सिस्टम की प्रदर्शनकारी प्रकृति पर भी सवाल उठाया और कहा कि सहानुभूति अक्सर शर्तों के साथ आती है. बकौल सूरज, ‘अगर इंडस्ट्री में कोई बड़ा व्यक्ति बीमार पड़ जाता है या उसके परिवार में कोई आपात स्थिति होती है, तो अचानक आप सभी को वहां देखते हैं – लेकिन ज़्यादातर इसलिए क्योंकि उन्हें पता होता है कि मीडिया भी वहां होगा. नहीं तो? चुप्पी. सच्चाई यह है कि लोग जल्दी से आगे बढ़ जाते हैं. समर्थन चुनिंदा, रणनीतिक हो गया है.’
जिया खान केस के जरिए खराब हुई सूरज की इमेज
पंचोली के लिए, यह विषय घर के करीब है. 2013 में, अभिनेत्री जिया खान के साथ उनके रिश्ते ने तब तूफान मचा दिया जब उनकी आत्महत्या से मौत हो गई और उनके खिलाफ़ आरोप लगाए गए. यह मामला लगभग दस साल तक चला, जिसमें लगातार मीडिया ट्रायल और इमोशनल तनाव रहा. आखिरकार सबूतों के अभाव में उन्हें 2023 में बरी कर दिया गया. बीच के समय ने गहरे निशान छोड़े और यह स्पष्ट रूप से दिखा दिया कि कौन उनके साथ खड़ा था और कौन नहीं. “यह आपके सबसे बुरे क्षणों में होता है जब आपको पता चलता है कि आपके असली लोग कौन हैं,’ उन्होंने नाम लिए बिना कहा, ‘जब आप मैग्जीन के कवर पर नहीं होते या इंस्टाग्राम पर ट्रेंड नहीं करते, तो आप ज़्यादातर लोगों के लिए अदृश्य हो जाते हैं.यह इस इंडस्ट्री का सबसे दुखद हिस्सा है.’
अब इस फिल्म में दिखेंगे सूरज
अब जबकि वे केसरी वीर के साथ फिर से सुर्खियों में हैं, यह एक पीरियड एक्शन फिल्म है जो उनके करियर को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश है, सोराज आशान्वित हैं जैसे लेकिन जमीन से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं कड़वा नहीं हूं. मैं बस यही चाहता हूँ कि हम उस पुराने जमाने की वफ़ादारी पर वापस लौट सकें. एकता की भावना. इसी ने इस इंडस्ट्री को सिर्फ़ एक व्यवसाय से ज़्यादा बनाया है. इसने इसे एक परिवार बना दिया है.
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