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शत्रुध्न सिन्हा किस तरह पाकिस्तान के सैन्य शासक जनरल ज़िया-उल-हक के दोस्त बन गए. वहां कई बार गए. उन्हें खासतौर पर प्रेसीडेंट हाउस में ठहराया जाता था. खूब खातिरदारी होती थी. केवल यही नहीं शत्रुध्न सिन्हा अब भी जिया उल हक के परिवार से जुड़े रहते हैं. उनके सुख दुख में शामिल होते हैं

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और फिर राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा एकजमाने में पाकिस्तान के राजकीय अतिथि होते थे. वहां उनकी खूब खातिरदारी होती थी. तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य जिया उल हक उनके प्रशंसक और दोस्त थे. लेकिन दोनों के बीच ये दोस्ती हुई कैसे. फिर कैसे शत्रुध्न सिन्हा कैसे कई बार पाकिस्तान गए. जहां वह प्रेसीडेंट हाउस में ठहराए जाते थे.

शत्रुध्न सिन्हा एकजमाने में बीजेपी की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे. उसके बाद उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई पार्टियां बदलीं. अब वो तृणमूल कांग्रेस से आसनसोल से लोक सभा सांसद हैं.

उनकी डॉयलॉग का दीवाना हर कोई

80 के दशक में बॉलीवुड में शत्रुध्न की तूती बोल रही थी. उनकी अपनी संवाद अदायगी थी. उनका खामोश कहना तो अब भी हिट है. उन्होंने पुणे इंस्टीट्यूट से एक्टिंग का कोर्स करने के बाद बॉलीवुड में पहले बतौर पर विलेन पहचान बनाई. फिर हीरो बन गए. वह ऐसे हीरो और विलेन थे, जिनके डॉयलाग आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं.

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल ज़िया-उल-हक़ और शत्रुध्न सिन्हा के बीच की दोस्ती एक अनोखी और दिलचस्प कहानी है, जो न केवल दोनों देशों के बीच के तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद बनी रही, बल्कि समय के साथ और भी मजबूत भी हुई.

कैसे हुई दोस्ती की शुरुआत

1980 के दशक में, जब भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और सैन्य तनाव चरम पर था, तब शत्रुघ्न सिन्हा पहली बार जनरल ज़िया-उल-हक़ के निमंत्रण पर पाकिस्तान गए. इस यात्रा के दौरान दोनों के बीच एक गहरी मित्रता स्थापित हुई. जनरल ज़िया ने शत्रुघ्न सिन्हा को अपने परिवार का हिस्सा मानते हुए उन्हें राष्ट्रपति भवन (ऐवान-ए-सदर) में ठहराया. विशेष सम्मान दिया. वह कई बार पाकिस्तान गए. हर बार उन्हें राजकीय अतिथि वाला सम्मान मिला.

तब शत्रुध्न सिन्हा ने मीडिया से अपनी इस यात्रा के बारे में ना केवल बताया बल्कि जिया उल हक की मेहमाननवाजी की बहुत तारीफ भी की थी.

ज़िया की बेटी जैन से मुंहबोली बहन का रिश्ता

शत्रुघ्न सिन्हा और जनरल ज़िया की बेटी ज़ैन ज़िया के बीच एक विशेष भाई-बहन का रिश्ता विकसित हुआ. ज़ैन, जो ऑटिज़्म से पीड़ित हैं, शत्रुघ्न सिन्हा को अपने मुंहबोले भाई के रूप में मानती हैं. इस संबंध की गहराई का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि शत्रुघ्न सिन्हा ज़ैन की शादी में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय और हिंदू थे.

राजनीतिक तनाव के बावजूद अटूट संबंध

भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार सैन्य तनाव और राजनीतिक विवाद हुए, लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा और ज़िया परिवार के बीच का संबंध कभी कमजोर नहीं पड़े. शत्रुघ्न सिन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा, “जब मैं किसी को दोस्त मान लेता हूं, तो वह जीवन भर के लिए मेरा दोस्त होता है.”

पारिवारिक समारोहों में भागीदारी

शत्रुघ्न सिन्हा ने न केवल ज़ैन की शादी में भाग लिया, बल्कि 2013 में ज़िया के पोते उस्मान उल हक़ की शादी में भी शामिल हुए. उन्होंने कहा, “ज़िया फैमिली के साथ मेरे लंबे और इमोशनल रिलेशनशिप रहे हैं.”

भारतीय राजनीति में भूमिका और पाकिस्तान से संबंध

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान भी ज़िया परिवार से संबंध बनाए रखे. उन्होंने कहा, “प्यार और भावनात्मक लगाव की कोई सीमा नहीं होती… यह हमारे बीच एक विशेष भाई-बहन का रिश्ता है, जो दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों की परवाह किए बिना गहरा है.”

दिलीप कुमार के प्रशंसक थे जिया उल हक

दिलीप कुमारके भी पाकिस्तान में जबरदस्त चाहने वाले थे. जनरल ज़िया-उल-हक़ दिलीप साहब का बहुत सम्मान करते थे. उनके प्रशंसक थे. कहा जाता है कि ज़िया साहब ने दिलीप कुमार को निशान-ए-इम्तियाज़ देने की पैरवी की थी, जो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. 1998 में जब दिलीप साहब ने ये सम्मान लिया, तब पाकिस्तान में उनकी लोकप्रियता चरम पर थी.

वैसे जनरल ज़िया ने एक बार पाकिस्तान में होने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में गीताकर महेंद्र कपूर को न्यौता भेजा था. वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर की भी जनरल ज़िया से कई व्यक्तिगत मुलाकातें हुईं.
भले ही ज़िया-उल-हक़ का राजनैतिक रुख और सैन्य नीति भारत-विरोधी था, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर वो कुछ भारतीयों के बेहद मुरीद थे.

जिया उल हक के बेटे बेटियां अब क्या करते हैं

जनरल मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ के परिवार के सदस्य आज कई देशों में रहते हैं. विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं उनके दो बेटे थे और तीन बेटियां.

मुहम्मद इजाज़-उल-हक़ (पुत्र)
इजाज़-उल-हक़ एक अनुभवी पाकिस्तानी राजनेता हैं. वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग (ज़िया) के अध्यक्ष हैं. कई बार नेशनल असेंबली के सदस्य रह चुके हैं. वह धार्मिक मामलों और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रहे.

डॉ. अनवर-उल-हक़ (पुत्र)
डॉ. अनवर-उल-हक़ ने पंजाब प्रांतीय असेंबली के सदस्य के रूप में तीन बार सेवा की है. सामाजिक कल्याण मंत्री के रूप में भी कार्य किया.

ज़ैन ज़िया (पुत्री)
ज़ैन ज़िया पाकिस्तान में विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए काम करने वाले “तवक्कुल ट्रस्ट” की अध्यक्ष हैं. वे इस्लामाबाद में रहती हैं और सामाजिक कल्याण गतिविधियों में सक्रिय हैं.

डॉ. कुरतुलऐन ज़िया (पुत्री)
डॉ. कुरतुलऐन ज़िया लंदन में रहती हैं. वह पाकिस्तानी डॉक्टर अदनान मजीद से विवाहित हैं.

रुबिना सलीम (पुत्री)
रुबिना सलीम एक पाकिस्तानी बैंकर से विवाहित हैं. 1980 के दशक से संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रही हैं.

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