[ad_1]
Last Updated:
What is More Healthier Brown or White: ब्राउन राइस ज्यादा फायदेमंद है या व्हाइट राइस. एक नई स्टडी से यह बात जानकर आप दंग रह जाएंगे.

ब्राउन राइस ज्यादा अच्छा या व्हाइट राइस.
Brown Rice vs White Rice: अब तक यही कहा जाता है कि व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस ज्यादा हेल्दी होता है. लेकिन नए अध्ययन से आपको हैरानी होगी. नई रिसर्च में पाया गया है कि ब्राउन राइस में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होती है जो कैंसर का कारण बन सकता है. यह अध्ययन अमेरिकी जनता में हुआ है. शोधकर्ताओं ने बताया कि राइस ब्रान और ब्राउन राइस में आर्सेनिक कंटेंट और अकार्बनिक आर्सेनिक की मात्रा नॉर्मल से बहुत ज्यादा है. अध्ययन में कहा गया है कि व्हाइट राइस में जितनी कुदरती चीज एंडोस्पर्म होता है उससे कहीं ज्यादा ब्राउन राइस में आर्सेनिक पाया जाता है.
बच्चों को ज्यादा खतरा
टीओआई ने अध्ययन के हवाले से बताया है कि अधिकांश अमेरिकी ब्राउन राइस का सेवन इसलिए ज्यादा करते हैं क्योंकि पहले के कई अध्ययनों में बताया गया है कि ब्राउन राइस फायदेमंद है लेकिन नए अध्ययन से वैज्ञानिक भी हैरान है. चूंकि बच्चे चावल से बनी चीजों का सेवन ज्यादा करते है, इसलिए बच्चों को आर्सेनिक का ज्यादा खतरा है. यह पहले से ही ज्ञात है कि अगर बच्चों में आर्सेनिक का एक्सपोजर ज्यादा होता है तो यह सीधा ब्रेन पर असर करता है. अध्ययन में पाया गया है कि ब्राउन राइस में सामान्य से 24 प्रतिशत ज्यादा आर्सेनिक पाया गया जबकि अकार्बनिक आर्सेनिक की मात्रा 40 प्रतिशत ज्यादा थी.
आर्सेनिक सेहत के लिए कितना खतरनाक
आर्सेनिक कुदरती रूप से पृथ्वी के क्रस्ट लेवल में पाया जाता है. यानी पृथ्वी के अंदर 5 से 70 किलोमीटर के बीच में पृथ्वी की संरचना को क्रस्ट कहा जाता है. इसमें आर्सेनिक मिट्टी में मिला रहता है. इस तरह यह पानी, मिट्टी और यहां तक कि हवा में भी मौजूद रहता है. हालांकि यह कुदरती है लेकिन यह टॉक्सिन यानी जहर है. अगर यह अकार्बनिक रूप में रहे तो यह ज्यादा खतरनाक है. अगर आर्सेनिक की कम मात्रा शरीर में जाए तो लिवर इसे निकाल देता है लेकिन अगर यह जरूरत से ज्यादा हो जाए तो इससे कई तरह की बीमारियां लग सकती है. प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों में इसका ज्यादा खतरा है. आर्सेनिक के ज्यादा एक्सपोजर से स्किन, लंग्स, ब्लैडर, किडनी कैंसर का खतरा ज्यादा है. आर्सेनिक के कारण हार्ट डिजीज हो सकता है. यह ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है. अगर बच्चों में ज्यादा आर्सेनिक पहुंच जाए तो उसका दिमाग विकसित नहीं हो पाता है. आई क्यू लेवल प्रभावित होता है. इससे बच्चों को सीखने में दिक्कत होती है.
[ad_2]
Source link