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Junk Foods Change Brain Activity: बाजर की चीजें यदि आपको बहुत खाने की आदत हैं तो इसे कम कीजिए वरना दिमाग में हलचल मच सकता है. इससे ब्रेन सुस्त हो जाता है. यह बात रिसर्च में कही गई है.

इस फूड से ब्रेन में बदलाव,
Junk Foods Change Brain Activity: आपकी खाने की आदत आपके दिमाग पर बहुत असर करती है. अगर खाने की आदत खराब है तो समझिए दिमाग में भी हलचल मच सकता है. एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि जंक फूड खाने से सिर्फ 5 दिनों के अंदर दिमाग के एक खास हिस्से में बदलाव होने लगता है. इससे पहले कि आप ये जाने कि किस तरह का नुकसान करता है, उससे पहले यह जान लें कि जंक फूड होता क्या है. जंक फूड वो होता है जिस चीज में चीनी, तेल, फैट, नमक आदि की मात्रा ज्यादा हो और उनमें बहुत ज्यादा कैलोरी हो. बाजार में मिलने वाली चीजें जैसे कि चॉकलेट, बिस्कुट, कुरकुरे, चिप्स, भुजिया आदि पैकेटबंद अधिकांश चीजें जंक फूड होते हैं. यहां तक कि पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राई आदि भी जंक फूड है. रिसर्च में पाया गया है कि जंक फूड खाने के 5 दिनों के अंदर दिमाग के एक खास हिस्से में सुस्तीपन आ जाती है.
दिमाग का खास हिस्सा प्रभावित
नेचर मेटाबोलिज्म जर्नल प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि जंक फूड खाने के बाद दिमाग का अंदरुनी पैटर्न ठीक उसी तरह होने लगता है जिस तरह से किसी ज्यादा वजन वाले व्यक्ति के दिमाग में होता है. बेशक वह मोटा न भी हो तो भी उसके दिमाग में वही बदलाव होने लगता है. इस रिसर्च की प्रमुख लेखक न्यूरोसाइंटिस्ट स्टेफनी कुलमान कहती हैं कि हमें जो इस रिसर्च के परिणाम में मिला उसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी. उन्होंने कहा कि जब भी कोई कुछ खाता है तो पहले ही कौर से पैंक्रियाज से तेजी से इंसुलिन रिलीज होता है ताकि इसका आसानी से मेटोबोलाइज हो सके. इंसुलिन निकलने के क्रम में कुछ इंसुलिन दिमाग में चला जाता है और यह भूख की इच्छा को कम करने लगता है जिससे मन भर जाता है और लोग खाना छोड़ देते हैं. लेकिन कुछ ज्यादा वजन वाले व्यक्ति का ब्रेन इस हार्मोन के प्रति प्रतिक्रिया ढीली कर देता है. इससे शरीर फूड को किस तरह प्रोसेस करे, यह भूल जाता है. मतलब फूड को सही तरीके से प्रोसेस करने में दिक्कत होने लगती है.
5वें दिन जंक फूड ने दिखाया अपना रंग
इसी बात को समझने के लिए स्टेफनी कुलमान ने 29 हेल्दी लोगों पर जंक फूड खिलाकर अध्ययन किया. इस स्टडी के लिए 29 हेल्दी पुरुष को शामिल किया गया. इनमें से 18 को हाई कैलोरी वाला जंक फूड दिया गया. इस जंक फूड में बहुत अधिक चीनी, फैट और नमक था. इन लोगों को 5 दिनों तक 1500 कैलोरी के बराबर इन जंक फूड को खिलाया गया. वहीं बाकी बचे लोगों को 1200 कैलोरी तक सीमित कर दिया गया. शोधकर्ताओं ने इन लोगों के दिमाग में ब्लड फ्लो का विश्लेषण किया. 4 दिनों तक इनके दिमाग पर कोई खास असर नहीं पाया. लेकिन 5वें दिन के विश्लेषण में पता चला कि हाई कैलोरी जंक फूड खाने के कारण दिमाग के एक खास हिस्से में बहुत ज्यादा हलचल होने लगा. यह जंक फूड खाने की वजह से ही हुआ.
दिमाग के पैटर्न में बदलाव
दिमाग का यह पैटर्न ठीक उसी तरह से था जिस तरह से किसी ज्यादा वजन वाले लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस होने पर हो जाता है. इससे ऐसे व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज हो जाता है. इस जांच के बाद जब एक सप्ताह के बाद इन लोगों के दिमाग की फिर से जांच की गई तो पाया गया कि जंक फूड खाने से दिमाग के दो हिस्से में जो हलचल थी वह अब कम हो गई है. यह वही हिस्सा है जहां से याददाश्त और भोजन को देखने के बाद संकेत के लिए बना है. इसका मतलब यह हुआ कि दिमाग में डाइट के कारण थोड़े समय के लिए दिमाग में जो परिवर्तन होता है वह इसके बंद करते ही दोबारा से ठीक हो सकता है. इसलिए यह रिसर्च मोटापा से बचने के लिए एक अलग तरह का संकेत देता कि जंक फूड का लगातार सेवन नहीं करेंगे तो मोटापा से बचे रहेंगे. स्टेफनी कुलमान ने बताया कि स्टडी में हाई कैलोरी डोज देने से कुछ लोगों को लगता होगा कि इतनी कैलोरी तो हम लेते ही नहीं है तो चिंता की कोई बात ही नहीं है. लेकिन यदि आप छुट्टियों में खाए जंक फूड को देखें तो इससे यह ज्यादा हो जाएगा.
February 27, 2025, 10:59 IST
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