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Breast Cancer New Treatment: कैंसर के मामलों में महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 23 लाख से ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं. इनमें से 6.20 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है. करीब 99 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में ही होता हैं. एक प्रतिशत से कम ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों को होता है. भारत में भी हर साल 2.21 लाख केसेज ब्रेस्ट कैंसर के आते हैं. हालांकि ब्रेस्ट कैंसर का अगर शुरुआती दौर में पता चल जाए तो इसका इलाज है लेकिन वर्तमान में जो इलाज है उसकी गति बहुत धीमी है. अब आईआईटी के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक नई तकनीक निकाली है. उसने एक ऐसा हाइड्रोजेल तैयार किया है जो इंजेक्शन के माध्यम से सीधे ब्रेस्ट में कैंसर सेल के पास पहुंचा दिया जाएगा. इससे कैंसर कोशिकाएं जल्द ही खत्म हो जाएगी.
साइड इफेक्ट्स से मुक्त होगा नया इलाज
यह हाइड्रोजेल दवा नहीं है बल्कि कैंसर की जो वर्तमान में दवा है उसी को जेल में मिला दिया जाएगा और इंजेक्शन देकर कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाया जाएगा. इससे ब्रेस्ट के प्रभावित इलाकों में जहां ट्यूमर है, वह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा. वर्तमान में जो कैंसर की दवा है उसे सीधे देने से बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट है. लेकिन हाइड्रोजेल में अगर मिलाकर दिया जाएगा तो इससे साइड इफेक्ट एकदम कम हो जाएगा. इस शोध को प्रतिष्ठित जर्नल मेटेरियल होराइजोंस में प्रकाशित किया गया है. वर्तमान में जो कैंसर का इलाज है, जैसे कि कीमोथेरेपी या सर्जरी इनमें गंभीर साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ता है. सर्जरी से ब्रेस्ट कैंसर का कभी-कभी खात्मा नहीं होता. विशेष रूप से आंतरिक अंगों में जब कैंसर हो तो यह काम नहीं करता. वहीं कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स के कारण हेल्दी कोशिकाएं भी नष्ट होने लगती है.
हाइड्रोजेल से होगा काम तमाम
हाइड्रोजेल पानी की तरह होता है जो थ्री डायमेंशनल पॉलीमर नेटवर्क होता है जो तरल पदार्थों को अवशोषित कर उसकी तरलता को देर तक बनाए रखता है. इसकी संरचना ऐसी होती है कि ये आसानी से हेल्थी कोशिकाओं को चकमा दे देती है और कैंसर कोशिकाओं पर आघात कर देती है. इस हाइड्रोजेल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह एंटी-कैंसर दवाइयों का एक खजाना साबित हो और जब जरूरत है इस खजाने से दवाइ जाकर नियंत्रित तरीके से कैंसर के ट्यूमर को मार दें. यह हाइड्रोजेल अल्ट्रा-शॉर्ट पेप्टाइड्स से बना होता है. यह हाइड्रोजल सिर्फ उसी जगह को प्रभावित करता है जिस जगह पर कैंसर कोशिकाएं हैं. टीओआई की खबर में आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर देवाप्रतीन दास ने कहा कि हमारी यह खोज इस बात का प्रमाण है कि विज्ञान कैंसर के इलाज में चुनौतीपूर्ण आवश्यकताओं को कैसे पूरा कर रहा है.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 16:21 IST
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