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एक तरफ जहां चैंपियंस टीम की जीत के हर तरफ चर्चे हो रहे है वहीं फैंस 29 साल पहले 13 मार्च को हुई वो घटना नही भूल पाते जब भारतीय टीम सेमीफाइनल मैच में श्रीलंका के सामने हार के कगार पर थी जब दर्शको के उत्पात के चक…और पढ़ें

भारतीय क्रिकेट का वो काला दिन जब मैदान पर खेल के अलावा सब कुछ हुआ
हाइलाइट्स
- 1996 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारत श्रीलंका से हारा.
- दर्शकों ने स्टेडियम में आग लगाई और बोतलें फेंकी.
- 13 मार्च की विनोद कांबली की रोती हुई तस्वीरें आज भी याद हैं.
नई दिल्ली. एक तरफ जहां तमाम भारतीय फैंस चैंपियंस ट्रॉफी में मिली जीत को सेलिब्रेट कर रहे है, गली गली में अभी तक इस जीत की चर्चा हो रही है. कोई रोहित की कप्तानी के तरीफों के कसीदे पढ़ रहा है तो कोई कोच की सोच का गुणगान कर रहा है. कुछ इतिहास कार 9 मार्च को भारतीय क्रिकेट की सबसे शानदार तारीख के रुप में इसको याद कर रहे है . इस तारीख से 4 दिन बाद 29 साल पहले कुछ ऐसे हुआ था जो आज भी फैंस के लिए किसी नासूर से कम नहीं.
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 13 मार्च 1996 को बदनुमा दाग दे जाने वाले दिन के तौर पर हमेशा याद किया जाता रहेगा. ये एक ऐसा दिन था जिसे भारतीय क्रिकेट का कोई भी फैन याद नहीं रखना चाहेगा. 29 साल पहले इसी दिन भारत और श्रीलंका की टीमों के बीच वर्ल्ड कप के सेमिफाइनल हुआ था. इस सेमीफाइनल मैच के बारे में सोचने पर अब भी नाराज प्रशंसकों और आंसुओं से भरे विनोद कांबली के चेहरे की याद जेहन में ताजा हो जाती है.
ईडेन गॉर्डन में वो काला दिन
1996 का सेमी फाइनल मुकाबला सामने श्रीलंका की टीम और फैंस के मन में अपनी टीम पर भरोसा इन सब बातों के साथ शुरु हुई थी फाइनल में जगह बनाने की जंग. टॉस जीता भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने और सबको चौंकाते हुए पहले फील्डिंग करने का फैसला किया जिसकी चर्चा आज भी क्रिकेट जानकारों के बीच होती है. पहले दो ओवर में जयसूर्या और कालूवितर्ना को आउट करके जवागल श्रीनाथ ने भारतीय टीम पर फैंस के भरोसे को और ताकत दे दी थी और लगने लगा कि फाइनल अब दूर नहींं. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था जब अरविंदा डिसिल्वा ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कि और उनकी पारी की वजह से श्रींलका 251 बनाने में कामयाब रही. टीम इंडिया 252 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय 98 रन पर एक विकेट गंवाकर अच्छी स्थिति में थी, लेकिन सचिन तेंदुलकर के आउट होने के बाद टीम का बल्लेबाजी क्रम ढह गया और उसका स्कोर आठ विकेट पर 120 रन हो गया. मुरलीधरन, कुमार धर्मसेना और जयसूर्या की घूमती गेंदों के सामने भारतीय बल्लेबाजी चरमरा गई.
दर्शको का मैदान पर तांडव
भारतीय बल्लेबाजी के ढहने के बाद दर्शक अनियंत्रित हो गए थे और उनके बुरे बर्ताव के कारण मैच पूरा नहीं हो सका और इसे श्रीलंका के नाम कर दिया गया दर्शकों ने इसके बाद मैदान पर बोतलें फेंकनी शुरू कर दी और स्टेडियम के एक हिस्से में बैठने के स्थान पर आग लगा दी थी जिसके बाद मैच रैफरी क्लाइव लाइड ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया. वर्ल्ड कप 1996 के सेमीफाइनल को भारत की हार से ज्यादा विनोद कांबली की रोती हुई तस्वीरों, ईडन गार्डेंस में आगजनी और मैदान पर दर्शकों की ओर से फेंकी गईं बोतलों, चप्पलों, जूतों के लिए याद किया जाता है. ये वर्ल्ड कप इतिहास की पहली घटना थी जब कोई मैच बीच में खत्म कर दिया गया और विजेता टीम को फाइनल में बिना मैच पूरा किए जगह मिला हो.
New Delhi,Delhi
March 12, 2025, 15:55 IST
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