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मैनचेस्टर: भारत और इंग्लैंड के बीच यहां प्रतिष्ठित ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर होने वाले चौथे टेस्ट के इतर पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज फारुख इंजीनियर और वेस्टइंडीज के महान खिलाड़ी क्लाइव लॉयड के नाम स्टैंड (दर्शक दीर्घा) को दिए जाएंगे.

इंजीनियर लगभग एक दशक तक लंकाशर की ओर से खेले जबकि वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान लॉयर्ड लगभग दो दशक तक क्लब के साथ रहे और क्लब के इतिहास में बहुमूल्य योगदान दिया.

दूसरी ओर दो बार विश्व कप जीतने वाली वेस्टइंडीज की टीम के कप्तान लॉयड ने 1970 के दशक की शुरुआत में एक विदेशी खिलाड़ी के रूप में आने के बाद क्लब की किस्मत बदल दी.

जब मुंबई में जन्मे इंजीनियर ने लंकाशर के लिए पदार्पण किया तो क्लब ने 15 साल से अधिक समय तक कोई बड़ा खिताब नहीं जीता था, लेकिन उन्होंने 1970 से 1975 के बीच चार बार जिलेट कप जीतने में टीम की मदद की.

दिलचस्प बात यह है कि इंजीनियर ने अपना अधिकतर क्रिकेट ब्रेबोर्न स्टेडियम में खेला लेकिन वहां उनके नाम पर कोई स्टैंड नहीं है. इंजीनियर ने कुछ साल पहले क्लब की वेबसाइट से कहा था:

वह अविश्वसनीय समय था और ओल्ड ट्रैफर्ड एक शानदार जगह थी. लोग हमें खेलते देखने के लिए मीलों दूर से आते थे. ओल्ड ट्रैफर्ड के ड्रेसिंग रूम से हम वारविक रोड रेलवे स्टेशन देख सकते थे और मैच से पहले हम खचाखच भरी ट्रेनों को प्लेटफॉर्म पर यात्रियों को उतारते हुए देखते थे. हम नारे लगाते, बातें करते और हंसी-मजाक करते लोगों को सुन सकते थे.

इंजीनियर को अपने सुनहरे दिनों में प्रशंसकों से मिले पत्र भी याद हैं. उन्होंने कहा:

यह शानदार था, हमारे लॉकर ऑटोग्राफ के आग्रह और पार्टियों के निमंत्रण से भरे रहते थे. इंग्लैंड में हर कोई उस महान टीम के बारे में बात कर रहा था, जिसमें क्लाइव लॉयड, हैरी पिलिंग, पीटर लीवर और केन शटलवर्थ जैसे नाम थे.

संन्यास लेने के बाद इंजीनियर ने मैनचेस्टर को अपना घर बना लिया और आज तक यहीं रहते हैं. यहां निजी दौरे पर आए पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर के भी क्लब के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समारोह में शामिल होने की उम्मीद है.

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