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Bhutki mushroom: नेपाल और बिहार के उरांव जनजाति जंगल में उगने वाली भुटकी मशरूम का सेवन करते हैं. यह सब्ज़ी दीमक के टीलों के आसपास उगती है और भालू इसे पसंद करते हैं. इसकी कीमत 500-1000 रुपए प्रति किलो है.

भालुओं के गढ़ से आती है ये सब्जी, कीमत 1000 रुपए किलो, स्वाद में मटन भी है फेल

नेपाल के दक्षिणी मैदानों के पश्चिमी भाग के थारू सहित बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के वन वर्ती क्षेत्रों में रहने वाले उरांव जनजाति( आदिवासी) के लोग जंगल में उगने वाली एक ऐसी सब्ज़ी का सेवन करते हैं, जिसे पौष्टिकता की खान और स्वाद का शहंशाह कहा जा सकता है. जानकार बताते हैं कि यह सब्ज़ी मशरूम की ही एक खास प्रजाति है, जो घने जंगलों में मिट्टी के नीचे प्राकृतिक रूप से उग आती है.

दीमक के टीलों के पास

पश्चिम चंपारण के वन वर्ती क्षेत्रों सहित नेपाल में भी इस जंगली सब्ज़ी को भुटकी/फुटकी के नाम से जाना जाता है. वाल्मीकिनगर जंगल के समीप रहने वाले निवासी बताते हैं कि जंगल में यह सब्ज़ी दीमक के टीलों के आसपास उगती है.मुख्य रूप से भालू इसे खाना बेहद पसंद करते हैं. इसलिए कई बार वो रहने के लिए अपनी गुफा भुटकी वाली क्षेत्र में ही बना लेते है.

खतरों से भरा होता है इकट्ठा करना

मशरूम पर जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि भुटकी मुख्य रूप से बरसात के दिनों उगते हैं. वन्य जीवों से भरे घने जंगलों में उगने की वजह से इसे इकट्ठा करना बेहद मुश्किल और खतरों से भरा होता है.साथ ही जंगल की अमानत होने की वजह इसे भी तोड़कर लाना वन कानून के तहत कानून अपराध माना जाता है.हालांकि, जंगल के समीप रहने वाले आदिवासी कभी कभार इसे चुप चाप इकट्ठा कर लाते हैं और बाज़ार में 500 से 1000 रुपए प्रति किलो तक की दर पर बेचते हैं.

ऊपर से काले रंग की होती है

इस सब्ज़ी के बारे में सबसे रोचक बात यह बताई जाती है कि यह जंगल की आग से बनने वाली राख में उगती है. यही कारण है कि इसका ऊपरी रंग काला होता है, लेकिन जैसे ही आप इसे पानी से धोते हैं यह सफ़ेद दिखने लगती है.सब्ज़ी बनाने से पहले आदिवासी समुदाय के लोग कई बार इसे पानी से साफ करते हैं.चुकी यह जंगल में प्राकृतिक तरीके से उगता है, इसलिए सब्ज़ी बनाने से पहले इसकी बेहतर सफाई बेहद अनिवार्य भी हो जाती है.

मटन की तरफ ज़ायका

अन्य किसी भी सब्ज़ी की तुलना में भुटकी की कीमत बेहद महंगी होती है.इसके उपजने की जगह, इकट्ठा करने का तरीका और सबसे महत्वपूर्ण चीज इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों की वजह से इसे आदिवासियों द्वारा जंगल के क़रीब रहने वाले लोगों द्वारा 500 से 1000 रुपए प्रति किलो की दर तक बेचा जाता है.जानकार बताते हैं कि इसका स्वाद मटन से मिलता है.यदि आप इसे कायदे से बनाते हैं, तो यकीन मानिए कि खाने वाले अपनी उंगलियां तक चाटने को मजबूर हो जाएंगे.

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