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Shahjahanpur UP Juta Maar Holi 2025 Celebration: होली रंगों का त्योहार है, जो भारत, नेपाल समेत पूरे विश्व में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो रंगों का त्योहार होली देश भर में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है….और पढ़ें

भैंसा गाड़ी पर लाट साहब, हवा में बरसते हैं जूते, यहां की अनोखी होली और अनोखा सम्मान

यूपी के इस जिले में जूता मार होली.

हाइलाइट्स

  • शाहजहांपुर में जूते मारकर होली मनाई जाती है.
  • लाट साहब के जुलूस में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होती है.
  • लाट साहब का जुलूस 300 साल पुरानी परंपरा है.

शाहजहांपुर: रंगों का त्योहार होली और उसे मनाने के तरीके पूरे देश में अलग-अलग हैं. कही फूलों से होली खेली जाती है और कहीं लठमार होली खेली जाती है. मगर, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में सबसे अनोखी होली होती है. यहां जूते मारकर खेली जाती है. यहां जूते मार होली खेलने की परंपरा दुनिया की सबसे अनूठी है. जूते मारने की मुख्य वजह अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करना है, जिसमें शहर के लोग जुलूस में शामिल होते हैं और जूते मारकर होली का लुत्फ उठते हैं. एक शख्स को लाट साहब बनाकर उसे जूतों और झाड़ू से पीटा जाता है. इस जुलूस को लाट साहब के जुलूस के नाम से जाना जाता है. बेहद संवेदनशील माने जाने वाले लाट साहब के जुलूस में पुलिस की बेहद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है.

किसे बनाया जाता है लाट साहब?
लाट साहब एक व्यक्ति को बनाया जाता है. उसे भैंसा गाड़ी पर बैठाकर जूते से पीटा जाता है. यहां लाट साहब का जुलूस निकालने की ये परंपरा बरसों पुरानी है. चूंकि अंग्रेजों ने जो जुल्म हिंदुस्तानियों पर किए हैं वो आक्रोश आज भी हर किसी के दिल में मौजूद है. यहां के लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते हैं. लाट साहब के इस जुलूस में अंग्रेज के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बिठाते हैं और उसे जूते व झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है. इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी जमकर हुड़दंग मचाते हैं.

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यहां निकाले जाते हैं जुलूस
वैसे तो लाट साहब के 24 जुलूस शाहजहांपुर में निकल जाते हैं, लेकिन मुख्य रूप से लाट साहब के दो बड़े जुलूस शहर में दो अलग-अलग स्थानों से निकाले जाते हैं. पहला जुलूस थाना कोतवाली के बड़े चौक से और दूसरा जुलूस थाना आरसी मिशन के सराय काईया से निकलता है. दोनों जुलूसों में पुलिस की मौजूदगी में जमकर हुड़दंग होता है. प्रशासन द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द को कायम रखने के उद्देश्य से बड़े एवं छोटे लाट साहब के रूट पर पड़ने वाली लगभग छोटी बड़ी 40 मस्जिदों को पॉलिपैक से कवर्ड किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए और किसी प्रकार की अनहोनी ना हो, इसके मद्देनजर शहर के 40 इबादत ग्रहों को त्रिपाल से ढक दिया है. जिला प्रशासन का कहना है कि होली के रंग के दौरान कोई हुड़दंगी मस्जिद पर रंग ना डाल दे इसके लिए यह आवश्यक कदम उठाया गया है

300 साल पुराना लाट साहब का जुलूस
इतिहासकार डॉ. विकास खुराना का कहना है कि लाट साहब का जुलूस 300 वर्ष पुराना है. मध्यकाल से ही हिंदू मुस्लिम मिलकर होली खेलते रहे हैं. शाहजहांपुर में इसका रिटेन एविडेंस हैं. यह प्रमाण ‘तारीखे शाहजहांपुरी’ में नवाब अब्दुल्ला खान के समय से मिलता है जब होली के जुलूस में शहर में घूमे थे. इस जुलूस में विकृति तब आई जब 1988 में इस जुलूस का नाम लाट साहब का जुलूस रख दिया गया. अंग्रेजों ने किसी व्यक्ति को लाट साहब बनाकर होली के मौके पर जुलूस निकाला. इससे नाराज जनता ने जूतों की बारिश कर दी. ये एक तरह से अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का विरोध था. हर साल यह जुलूस लाट साहब चौकसी नाथ मंदिर से बायो विश्वनाथ मंदिर तक आता है.

सख्ती बढ़ाई गई
इस मामले में जिलाधिकारी शाहजहांपुर धर्मेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि शहर में होली के लगभग 24 जुलूस निकालते हैं. इसमें आठ जुलूस लाट साहब के शहर के अंदर होते हैं, जिनमें बड़े लाट साहब और छोटे लाट साहब के होते हैं. बड़े लाट साहब का जुलूस लगभग साढ़े 7 किलोमीटर शहर के अंदर होता है जबकि छोटे लाट साहब का जरूर ढाई किलोमीटर शहर के अंदर निकाला जाता है. जुलूस को जोन, सेक्टर, सब सेक्टर और स्टेटिक मजिस्ट्रेट डिवाइड करके ड्यूटी लगाई गई है लगभग 36 जगह पर रूफटॉप करके ड्युटी लगाई गई हैं, जिनकी वीडियो ग्राफी भी करी जाएगी. इसके साथ ही जुलूस के पूरे रूट पर सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी. अभी से ड्रोन से छतों की चेकिंग की जा रही है. छतों पर कोई आपत्तिजनक सामग्री ना हो और यदि सामग्री मिलती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

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