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नई दिल्ली. किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के एक ऐसे बहुआयामी कलाकार थे, जिनकी आवाज, एक्टिंग और संगीत ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. ‘मेरे सपनों की रानी’, ‘पल पल दिल के पास’, ‘चिंगारी कोई भड़के’ से लेकर ‘एक लड़की भीगी भागी सी’ तक जैसे गानों को अपनी आवाज देने वाले किशोर कुमार को 8 बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया, जो उस दौर में एक रिकॉर्ड मिला, लेकिन उन्हें कभी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नहीं मिला. हाल ही में एक इंटव्यू में किशोर कुमार के बेटे और सिंगर अमित कुमार ने खुलासा किया कि दिवंगत गायक एक बार राष्ट्रीय पुरस्कार के करीब आए थे, लेकिन रिश्वत की मांग के कारण पीछे हट गए.
60 के दशक में, जब किशोर कुमार की फिल्में एक एक्टर के रूप में फिल्में फ्लॉप होने लगीं, तो उन्होंने ‘दूर गगन की छांव में’ के साथ निर्देशन की ओर रुख किया, जिसमें अमित कुमार भी उनके साथ थे. यह फिल्म 1964 में रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही. उस समय, यह रिपोर्ट किया गया था कि फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए विचार किया जा रहा था.
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए दिल्ली से आया फोन, मांगी थी रिश्वत
विक्की लालवानी के साथ एक इंटरव्यू में अमित ने इस बात की पुष्टि की. जब उनसे पूछा गया कि क्या रिश्वत का प्रस्ताव था जैसा कि रिपोर्ट किया गया था तो अमित ने जवाब दिया, ‘हां, ऐसा हुआ था. उन्हें दिल्ली से मंत्रालय के किसी व्यक्ति का फोन आया था. उस समय, ‘हकीकत’, ‘दोस्ती’ और ‘दूर गगन की छांव में’ को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए विचार किया जा रहा था. उन्होंने मेरे पिता से कहा, ‘अगर आप कुछ करेंगे, कुछ देंगे, तो हम आपको नामांकित कर सकते हैं.’ मेरे पिता ने कहा, ‘आप मेरे पीछे क्यों पड़े हैं? मेरी फिल्म हिट है.’
‘दूर गगन की छांव में’ का बना साउथ रीमेक
‘दूर गगन की छांव में’, अमेरिकी फिल्म ‘द प्राउड रेबेल’ की रीमेक थी, जो हिट रही. बाद में इसे तमिल में ‘रामू’, तेलुगु में ‘रामू’ और मलयालम में ‘बाबुमोन’ रीमेक किया गया. एक विडंबना का उल्लेख करते हुए, अमित ने याद किया, ‘फिल्म सुपर सिनेमा में 23 हफ्तों तक चली. दिल्ली-यूपी में, फिल्म सिल्वर जुबली थी. फिर उन्होंने तमिल फिल्म निर्माता को अधिकार बेच दिए. रीमेक का नाम ‘रामू’ था. उसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.’
किशोर ने 12 फिल्मों का किया निर्देशन
हालांकि, किशोर कुमार मुख्य रूप से एक सिंगर के रूप में जाने जाते हैं. किशोर ने 12 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 8 रिलीज हुईं और 4 अधूरी रह गईं. उनकी अंतिम निर्देशित फिल्म ‘ममता की छांव में’, ‘दूर गगन की छांव में’ का आध्यात्मिक सीक्वल थी. इसमें अमित कुमार, अशोक कुमार, राजेश खन्ना और लीना चंदावरकर ने एक्टिंग किया था. यह फिल्म किशोर कुमार के निधन के तीन साल बाद, 1990 में रिलीज हुई थी.
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