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मंदिरा बेदी ने क्रिकेट होस्ट करके खूब सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन उन्हें उस वक्त ट्रोलिंग का भी शिकार होना पड़ा था. मंदिरा ने फीमेल कमेंटेटर के तौर पर अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा कि पैनल में सीनियर क्रिकेटर्स अ…और पढ़ें

मंदिरा बेदी को घूरते थे क्रिकेटर्स, सवालों को कर देते थे इग्नोर, ‘बिम्बो’- बेवकूफ कहकर मजाक उड़ाते थे लोग

मंदिरा बेदी क्रिकेट कमेंट्री करने वाली पहली महिला थीं.

हाइलाइट्स

  • मंदिरा बेदी ने क्रिकेट होस्टिंग में पहली महिला बनकर सुर्खियां बटोरीं.
  • मंदिरा को ट्रोलिंग और अपमान का सामना करना पड़ा.
  • मंदिरा ने आत्मविश्वास से अपनी जगह बनाई और महिलाओं के लिए रास्ता खोला.

नई दिल्ली. मंदिरा बेदी का नाम लेते ही सबसे पहले दिमाग में क्रिकेट होस्ट करने वाली पहली महिला की छवि आती है. वो पहली एक्ट्रेस हैं जिन्होंने क्रिकेट मैच होस्ट किया था. मंदिरा बेदी शानदार एक्ट्रेस होने के साथ ही कमाल की होस्ट और फिटनेस आइकॉन भी हैं. क्रिकेट कमेंट्री कर मंदिरा बेदी ने देशभर में खूब सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन उस वक्त कुछ लोग ऐसे भी थी जो इस बात को सहन नहीं कर पाए थे कि एक महिला क्रिकेट कमेंट्री कर रही है. लोगों ने मंदिरा को ट्रोल करने और उन्हें नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ा था.

एक इंटरव्यू में मंदिरा ने खुलासा किया कि पुरुष-प्रधान कमेंट्री पैनल में उनकी मौजूदगी को कई बार नजरअंदाज किया गया. वो कहती हैं, ‘जब मैं कोई सवाल पूछती थी, तो लोग मुझे घूरते रहते और जवाब नहीं देते. मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं वहां थी ही नहीं. मैं बहुत अपमानित महसूस करती थी और वो अनुभव मेरे लिए काफी कठिन था’.

इज्जत नहीं देते थे लोग

इन सबके बावजूद मंदिरा ने हार नहीं मानी. उन्होंने खुद पर भरोसा बनाए रखा और धीरे-धीरे लाइव टेलीविजन की दुनिया में अपनी जगह पक्की कर ली. उन्होंने कहा, ‘भले ही वो मेरे साथ पर्सनली सम्मान से पेश नहीं आया जाता था, लेकिन कैमरे के सामने उन्हें मुझे सम्मान देना ही पड़ता था.’

सोशल मीडिया से पहले करते थे ट्रोल

मंदिरा बेदी ने सोशल मीडिया के शुरू होने से पहले ही ट्रोलिंग का सामना करना शुरू कर दिया था. चैनल वालों ने पहले उन्हें इंटरनेट कमेंट्स से दूर रहने की सलाह दी. लेकिन जब उन्होंने आत्मविश्वास के साथ अपने काम पर पकड़ बना ली, तो उन्हें खुद जाकर देखना पड़ा कि लोग उनके बारे में क्या कह रहे हैं. वो कहती हैं, ‘मुझे बिम्बो, डमी या एयरहेड कहे जाने पर बहुत बुरा लगा. ये बातें चोट पहुंचाती थीं’.

वो कहती हैं कि उन्होंने खुद को संभाला और फैसला किया कि वो टूर्नामेंट पूरा करेंगी. मंदिरा कहती हैं, ‘मैं यहां हूं, और मैं इस टूर्नामेंट को पूरा करूंगी और मजे से करूंगी.’

मंदिरा ने जिस तरह से कमेंट्री की दुनिया में खुद को साबित किया, वो सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि कई महिलाओं के लिए रास्ता खोलने वाली बात थी. उन्होंने न सिर्फ लोगों की सोच बदली, बल्कि यह भी दिखा दिया कि क्रिकेट जैसी गंभीर और तकनीकी चीजों पर महिलाओं की भी उतनी ही मजबूत पकड़ हो सकती है.

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मंदिरा बेदी को घूरते थे क्रिकेटर्स, सवालों को कर देते थे इग्नोर

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