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मटर की फसल चौपट कर रहा फली भेदक कीट, किसान ऐसे करें बचाव

सहारनपुर: केंद्र सरकार दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है. इसके चलते रबी सीजन में दलहन फसलों का बीते साल की तुलना में काफी बढ़ने की उम्मीद है. इस बीच उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान मटर की फसल में फली भेदक कीट के प्रकोप से परेशान हैं. फली भेदक कीट मटर के दाने को खा जाता है. इससे किसानों को उपज में गिरावट का सामना करना पड़ता है और क्वालिटी भी गिर जाती है. आप भी मटर की खेती कर रहे हैं और इसी समस्या से जूझ रहे हैं तो आज हम आपके लिए इस समस्या का समाधान खोजकर लाए हैं.

मटर में लगने वाले फली भेदक कीट के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग केंद्र के प्रभारी और प्रोफेसर डॉक्टर आई. के कुशवाहा बताते हैं कि दो कार्ड प्रति एकड़ के हिसाब से ट्राइकोग्रामा कार्ड लगाएं. मटर में फली भेदक कीट और अर्द्धकुंडलीकार कीट के नियंत्रण के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों जैसे बैसिलस थुरिनजीएसीन्स (बीटी) की कस्टकी प्रजाति 1 किलो ग्राम, एजाडीरेक्टिन 0.03% WSP 2.50 से 3 किलो ग्राम, एनपीवी (एच) 2% एएस में किसी एक का छिड़काव प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर कर सकते हैं. इन दवाओं के छिड़काव के बाद किसानों को फली भेदक कीट के प्रकोप से राहत मिलेगी.

इन दवाओं का इस्तेमाल करें किसान
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी और प्रोफेसर डॉक्टर आई.के कुशवाहा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि मटर में इस समय फली आ रही है. इस बीच मटर में सूंडी जैसे कीट का प्रकोप देखा जा रहा है. शुरू की अवस्था में यह सूंडी पत्तियों में रहती है. धीरे-धीरे यह फली में जाकर फली को नुकसान पहुंचती है. सब्जी वाली फसलों में शुरू के समय में ऐसे उपाय जरूर कर लेना चाहिए जिससे की सूंडी जैसी समस्या ना आए. उनसे बचने के लिए दो कार्ड प्रति एकड़ के हिसाब से ट्राइकोग्रामा कार्ड लगाएं. दूसरा मटर में काले और हरे रंग की सुंडी लगती है. इनके लिए प्रति बीघा की दर से एक फेरोमेन ट्रैप का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से सुंडी की लाइफ साइकिल ब्रेक होती है.

प्रोफेसर का कहना है कि फसल लगाने के 15 से 20 दिन बाद फेरोमेन ट्रेप को लगा देना चाहिए. उन्होंने बताया कि किसान भाई नीम के तेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. नीम के तेल की एक मिली मीटर मात्रा 1 लीटर पानी में शैंपू मिलाकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं. इसके साथ ही बैसिलस थुरिनजीएसीन्स (बीटी) की कस्टकी प्रजाति 1 किलो ग्राम, एजाडीरेक्टिन 0.03% WSP 2.50 से 3 किलो ग्राम, एनपीवी (एच) 2% एएस में किसी एक का छिड़काव प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर कर सकते हैं. इन दवाओं के छिड़काव के बाद किसानों को फली भेदक कीट के प्रकोप से राहत मिलेगी. इसके साथ ही किसी भी दवा का प्रयोग फसल पर बार-बार नहीं करना है.

FIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 19:50 IST

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