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जिस समय एक महिला कंसीव करती है, वह दिन उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन होता है क्योंकि वह मां बनने की दुनिया में कदम रख चुकी होती है. लेकिन प्रेग्नेंसी का 9 महीने का सफर आसान नहीं होता, खासकर पहले 3 महीने. इन्ह…और पढ़ें

कई बार दवाओं का इस्तेमाल पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी को घटा देता है (Image-Canva)
Miscarriage due to unhealthy sperm: अमेरिका के लॉस एंजेलिस में दुनिया की पहली स्पर्म रेस कराई गई. इस स्पर्म रेसिंग का मकसद पुरुषों में बढ़ रही इनफर्टिलिटी के बारे में जागरूक करना था. हमारे समाज में अक्सर मां ना बनने का ताना महिला को दिया जाता है लेकिन इसमें पुरुष का भी योगदान होता है. अगर पुरुष के स्पर्म हेल्दी नहीं हों तो महिला को मिसकैरेज तक झेलना पड़ सकता है.
अनहेल्दी स्पर्म के कारण भ्रूण में आता डिफेक्ट
दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ आब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी में प्रमुख कंसल्टेंट डॉ. त्रिप्ति रहेजा कहती हैं कि जब महिला कंसीव करती है तो गर्भ में पल रहे भ्रूण में 50% जीन पुरुष और 50% जीन महिला से आते हैं. अगर स्पर्म अनहेल्दी हो तो बच्चे में जेनेटिक एब्नार्मेलिटी हो सकती है. जेनेटिक एब्नार्मेलिटी के कारण ही 90% मिसकैरेज प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में होते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा इसका खतरा कंसीव करने के 1 महीने में होता है.
लाइफस्टाइल का पड़ता है असर
आजकल पुरुषों में इनफर्टिलिटी का सबसे बड़ा कारण उनका अनहेल्दी लाइफस्टाइल है. जो पुरुष जंक फूड खाते हैं, अल्कोहल या स्मोकिंग करते हैं, इससे उनके स्पर्म की क्वॉलिटी खराब होने लगती है. वहीं नींद पूरी ना होना भी इसके पीछे एक वजह है. जो पुरुष कम सोते हैं या अनिद्रा का शिकार होते हैं, उनके शरीर में कॉर्टिसोल नाम का स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है जो उनके स्पर्म को प्रभावित करता है.
गर्म पानी से नहाने से बचें
अक्सर लोग रिलैक्स होने के लिए गर्म पानी से नहाते हैं. पुरुषों के लिए गर्म पानी से नहाना ठीक नहीं है. दरअसल हेल्दी स्पर्म बनने के लिए टेस्टिस का टेंपरेचर नॉर्मल बॉडी टेंपरेचर से कम होना चाहिए. ऐसे में अगर वह गर्म पानी से नहाते हैं तो उस एरिया का टेंपरेचर बढ़ सकता है और स्पर्म की क्वॉलिटी खराब हो सकती है. इसी तरह जो पुरुष बाइक चलाते हैं, इससे भी टेस्टिस का टेंपरेचर बढ़ सकता है जिससे उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है.
वेरीकोसील हो, तब भी दिक्कत
पुरुषों में वेरीकोसील नाम की बीमारी पाई जाती है. इस कंडीशन में पुरुषों के प्राइवेट पार्ट में दिक्कत होने लगती है. दरअसल स्क्रोटम की नसें बढ़ जाती हैं या उसमें सूजन आ जाती है. इससे टेस्टिस से खून वापस दिल में जाने लगता है. ऐसे में अगर स्क्रोटम का टेपरेंचर बढ़ जाएगा तो टेस्टिस में बनने वाले स्पर्म की क्वॉलिटी खराब होने लगती है. वेरीकोसील की वजह से महिला को बार-बार मिसकैरेज हो रहा है तो पुरुषों का ऑपरेशन कर इस बीमारी को ठीक किया जाता है.
ज्यादा उम्र या डायबिटीज का असर
जिन पुरुषों को डायबिटीज है और शुगर लेवल हमेशा हाई रहता है, तब भी उन्हें यह दिक्कत हो सकती है. किडनी या कैंसर के मरीज हों या सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन हो तब भी स्पर्म की संख्या कम और क्वॉलिटी खराब होने लगती है. हाई ब्लड प्रेशर भी इसका कारण हो सकता है. इसके अलावा जिन पुरुषों की उम्र 40 साल या उससे ज्यादा है, तब भी उनके स्पर्म के डीएनए की क्वॉलिटी डैमेज होने लगती है.
स्पर्म टेस्ट कराएं
पुरुषों में हेल्दी स्पर्म बन रहा है या नहीं, इसकी क्वॉलिटी का पता लगाने के लिए स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन टेस्ट कराया जाता है. इसमें स्पर्म सेल में डैमेज डीएनए डिटेक्ट हो तो मेल इनफर्टिलिटी का पता चल जाता है. 1 मिलीलीटर सीमेन में अगर 1 करोड़ 50 लाख से 20 करोड़ शुक्राणु हों तो स्पर्म हेल्दी माना जाता है. अगर इनकी संख्या कम हो तो इनफर्टिलिटी की दिक्कत हो सकती है.
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