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टीओआई की खबर के मुताबिक इस बैक्टीरिया का नामवाइब्रियो वल्नीफिकस Vibrio Vulnificus है. यह दुर्लभ बैक्टीरिया है. जब गर्म वातावरण होता है तब यह समंदर के खारे पानी में फैल जाता है और जो लोग नहाने जाते हैं उनमें से कुछ लोगों के शरीर में यह बैक्टीरिया घुस जाता है. 2016 से अब तक फ्लोरिडा में 448 मामले इस बैक्टीरिया से संक्रमण के आए हैं. इनमें से 100 मौतें भी हो चुकी है. इस तरह यह बैक्टीरिया बेहद जानलेवा है. इसलिए लोगों में डर है कि कहीं यह अन्य देशों में भी न फैल जाए. अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के अनुसार यह बैक्टीरिया गर्म और खारे समुद्री पानी में पाया जाता है.
यह बैक्टीरिया वास्तव में मांस नहीं खाता बल्कि टिशू को मार देता है. यह स्किन में अपने आप छेद कर नहीं घुसता है बल्कि यदि यदि स्किन में कहीं कट रहता है या पानी के माध्यम से मुंह में चला जाता है तो इंफेकशन हो जाता है.
कहां मिलता है यह बैक्टीरिया
सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (CDC) के अनुसार यह बैक्टीरिया गर्मी के मौसम में, खासकर मई से अक्टूबर के बीच अधिक मात्रा में पाया जाता है क्योंकि तब पानी का तापमान ज्यादा होता है.
वाइब्रियो वल्नीफिकस खारे समंदर में पाया जाता है और जब लोग नहाने जाते हैं तो शरीर में घुस जाता है. हालांकि वाइब्रियो वल्नीफिकस का इंफेक्शन बहुत कम होता है. सीडीसी के अनुसार अमेरिका में हर साल लगभग 80,000 वाइब्रियो इंफेक्शन और 100 संबंधित मौतें होती हैं. यह संक्रमण आमतौर पर संक्रमित कच्चे या अधपके समुद्री भोजन के सेवन करने वालों में ज्यादा होता है. इसके अलावा अगर किसी के शरीर में घाव है तो भी संक्रमन का खतरा ज्यादा है. इसके अलावा अगर कोई इस खारे पानी को मुंह में ले लेता है तो भी इस बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है.
किन लोगों को ज्यादा खतरा है
यह बैक्टीरिया उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है या जिन्हें कोई पुरानी बीमारी होती है. फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी अस्पताल में इंफेक्शन रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एडवर्ड हिर्श बताते हैं कि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है जैसे सिरोसिस वाले मरीज, कीमोथेरेपी ले रहे लोग या अन्य किसी कारण से कमजोर इम्यून सिस्टम वाले उनके लिए यह सबसे ज्यादा खतरनाक होता है.
सीडीसी के अनुसार इस बैक्टीरिया से संक्रमण होने पर डायरिया, पेट में मरोड़, मिचली, उल्टी और बुखार हो सकता है. अगर संक्रमण किसी खुले घाव से हुआ हो, तो त्वचा का रंग बदल सकता है, सूजन आ सकती है, स्किन खराब हो सकती है और अल्सर भी हो सकते हैं. डॉ. हिर्श के अनुसार यह उस हिस्से में छेद कर देता है जहां संक्रमण होता है.
कितनी खतरनाक है यह बीमारी
वाइब्रियो वल्नीफिकस बैक्टीरिया जब शरीर में प्रवेश कर नेक्रोटाइजिंग फैसाइटिस नामक गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है. इससे संक्रमित हिस्से की स्किन मर सकती है. अगर बीमारी खतरनाक हुई तो ऐसे मामलों में बड़ी सर्जरी या अंग काटने तक की जरूरत पड़ सकती है.
इस बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने के लिए समंदर में जाते समय अतिरिक्त सावधानी बरते. समंदर में तैरने के बाद खुद को अच्छी तरह धो लें और समुद्री भोजन को अच्छी तरह साफ करके पकाएं, क्योंकि यही दो सबसे आम स्रोत हैं. इसके बाद अगर शरीर पर घाव या कट है तो नमकीन या खारे पानी में न जाएं. अगर पानी में घाव हो गया तो तुरंत पानी से बाहर निकलें. यदि संक्रमित पानी या समुद्री भोजन से संपर्क हुआ है, तो घाव को वॉटरप्रूफ पट्टी से ढक कर रखें. कच्चे और पके समुद्री भोजन न रखें ताकि संक्रमण न फैले. अगर कोई घाव संक्रमित हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
भारत में कितना खतरा
चूंकि यह बैक्टीरिया में समंदर में खारे पानी में रहता है इसलिए यह समंदर में नहाने वालों को संक्रमित करता है. लेकिन यह बैक्टीरिया आमतौर पर मैक्सिको की खाड़ी में पाया जाता है. इसलिए यह अमेरिका, मैक्सिको और कुछ उत्तरी अमेरिकी देशों में मिलता है. अन्य समंदर में इस बैक्टीरिया की प्रजाति नहीं मिली है. इसलिए भारत में इसके आने का खतरा न के बराबर है.
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