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कन्नौज का तरबूज अपनी बेहतरीन मिठास और लाल रंग के लिए जाना जाता है. यह अंदर से एकदम लाल निकलता है. इसी वजह से लोग इसे गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.

कन्नौज का तरबूज
करौली. राजस्थान के करौली में इन दिनों यूपी के शहर कन्नौज का मशहूर तरबूज भीषण गर्मी में लोगों को अपनी बेहतरीन मिठास से राहत दे रहा है. गंगा किनारे उगने वाला यह तरबूज करौली में बीते कई दिनों से भारी मात्रा में आ रहा है. स्थानीय लोग भी इस तरबूज को इसकी बेहतरीन मिठास के कारण काफी पसंद कर रहे हैं. यह तरबूज करौली में सड़कों के किनारे रोजाना भारी मात्रा में बिक रहा है. लोग इस तरबूज को देखकर करौली से गुजरने वाले NH-11वीं हाईवे पर अपने वाहनों से रोककर इसे खरीद रहे हैं.
कन्नौज के इस मशहूर तरबूज ने स्थानीय क्षेत्र में उगने वाले तरबूज को भी अपने बेहतरीन मिठास और स्वाद से पीछे छोड़ दिया है. करौली में जब से यह तरबूज पहुंच रहा है लोग इसे ही सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसे बेचने वाले व्यापारियों का कहना है कि करौली शहर के लोग इस तरबूज को भारी मात्रा में खरीद रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि कन्नौज के इस तरबूज की करौली में रोजाना 30 क्विंटल से भी ज्यादा खपत हो रही है.
बेहतरीन मिठास के लिए मशहूर है यह तरबूज
करौली में इस तरबूज को बेच रहे व्यापारी रामगोपाल का कहना है कि कन्नौज का तरबूज अपनी बेहतरीन मिठास और लाल रंग के लिए जाना जाता है. यह अंदर से एकदम लाल निकलता है. इसी वजह से लोग इसे गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. व्यापारियों का यह भी कहना है कि मिठास में यह कन्नौज का तरबूज सभी तरबूजों में सबसे बढ़िया होता है. मिठास में इसका नाम तरबूज की सभी वैरायटियों में सबसे ऊपर आता है.
करौली में इन दिनों कन्नौज के तरबूज की दो किस्म पहुंच रही हैं. जिसमें एक धारदार तरबूज है और दूसरा काला तरबूज है. इसे बेचने वाले व्यापारियों का कहना है कि कन्नौज की है दोनों ही किस्में मिठास से भरपूर होती है लेकिन इन दोनों में भी सबसे ज्यादा मिठास काले तरबूज में होती है. करौली में इन दिनों कन्नौज के तरबूज की दोनों ही किस्में भारी मात्रा में बिक रही है.
जेठ माह के दशहरे तक आता है यह तरबूज
करौली में गंगा किनारे उगने वाला यह तरबूज इन दोनों ₹15 किलो के हिसाब से बिक रहा है. इस बीच रहे व्यापारियों को कहना है कि यह तरबूज जेठ माह के दशहरे तक बाजारों में आता है. बारिश का मौसम आने के बाद ही इसकी आवक बाजारों में खत्म होती है.
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