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इटावा. अगर किस्मत साथ दे तो इंसान क्या नहीं कर सकता है. ऐसा ही कुछ इटावा के दिव्यांग किसान आलोक यादव के साथ भी हुआ. उनकी किस्मत शिमला मिर्च की फसल से ऐसी बदली कि आज वे मालामाल हो चुके हैं. शिमला मिर्च ने आलोक को पिछले पांच साल में कई करोड़ रुपये का मुनाफा कराया है.
इटावा जिले के बसरेहर विकास खंड के चकवा बुजुर्ग गांव के किसान आलोक यादव शिमला मिर्च की फसल से सालभर में एक करोड़ रुपये से अधिक कमा रहे हैं. कभी बेहद गरीबी में जिंदगी बसर करने वाले आलोक मात्र पांच बीघा जमीन के मालिक हैं.
आलोक यादव करीब 70 बीघा बटाई के खेत में शिमला मिर्च और खीरे की फसल उगाते हैं. इससे वे न केवल सालाना करोड़ों रुपये पैदा कर रहे हैं बल्कि दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. प्रगतिशील किसान होने के नाते उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया है.
उनकी कामयाबी के बारे में इटावा के जिला उद्यान अधिकारी श्याम सिंह बताते हैं कि आलोक जिले के एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जो पोली हाउस पद्धति के जरिये खीरे की खेती के अलावा शिमला मिर्च और अन्य फसलों की खेती में जुटे हैं.
आलोक एक पैर से दिव्यांग हैं. उनको बचपन में पोलियो हो गया था। सिर्फ इतना ही नहीं, उनकी मां और बहन भी दिव्यांग हैं. आलोक कहते हैं कि उन्होंने एक पत्रिका में शिमला मिर्च उगाने का तरीका पढ़ा. उसे पढ़ने के बाद उन्होंने इसकी खेती करने की सोची. आलोक ने परंपरागत खेती से हटकर एक बीघा में शिमला मिर्च का उत्पादन किया, लेकिन अनुभव न होने से नुकसान हुआ और पहली बार की फसल आधी से ज्यादा बर्बाद हो गई.
लेकिन साथ नहीं छोड़ा
लेकिन उन्होंने शिमला मिर्च का साथ नहीं छोड़ा. आलोक ने फिर शिमला मिर्च की फसल उगाई. धीरे-धीरे उन्हें इसकी खेती में फायदा होना शुरू हो गया.
इस फायदे के बाद आलोक ने करीब 70 बीघा खेत बटाई पर लेकर उसमें शिमला मिर्च की फसल लगाई और करीब एक करोड़ रुपये की कमाई की. 15 लाख रुपये की लागत आई और उन्हें मुनाफा 85 लाख रुपये का हुआ.
किसी भी मौसम में
आलोक बताते हैं कि शुरू-शुरू में कम फायदा होता था, लेकिन इसकी निरंतर खेती से कमियां दूर करने का मौका मिला और फिर उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा. आज वे किसी भी मौसम में शिमला मिर्च उगा लेते हैं. इसकी खेती में अब वे इतने परिपक्व हो गए हैं कि फसल में न कोई रोग लगने देते हैं और न ही कोई दूसरी समस्या आने देते हैं.
इस तकनीक का सहारा
आलोक ने शिमला मिर्च की खेती के लिए डीप तकनीक का सहारा लिया हुआ है. ताकि कम से कम पानी मिर्च की फसल को लगे और फसल सुरक्षित रहे. अगर मिर्च के पौधे में अधिक पानी लगेगा तो पौधा खराब हो सकता है.
Tags: Etawa news, Local18
FIRST PUBLISHED : January 7, 2025, 20:33 IST
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