[ad_1]
Last Updated:
2006 Mumbai Local Train Blasts Case: बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच जिसमें न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एससी चंदक शामिल थे ने सोमवार को 2006 के 11 जुलाई मुंबई ट्रेन धमाकों के मामले में पांच लोगों को दी गई मौत…और पढ़ें

बॉम्बे ट्रेन ब्लास्ट केस हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को बरी किया
हाइलाइट्स
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 मुंबई ब्लास्ट केस के 12 आरोपियों को बरी किया.
- न्यायमूर्ति अनिल किलोर और एससी चंदक ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया.
- सबूतों की कमी के कारण ट्रायल कोर्ट का फैसला खारिज किया गया.
इस फैसले ने ना सिर्फ भारत की न्यायिक प्रणाली में एक नई बहस को जन्म दिया है, बल्कि लोगों के मन में यह सवाल भी खड़ा किया है कि ऐसा निर्णय देने वाले जज कौन हैं और उनके पास ऐसा क्या अनुभव रहा कि उन्होंने 9 साल पुराने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया? इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे दो नाम हैं न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एससी चंदक. आइए जानते हैं कौन हैं ये दोनों जज और उनका अब तक का न्यायिक सफर कैसा रहा है…
न्यायमूर्ति अनिल किलोर 23 अगस्त 2019 से बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश हैं. वे विदर्भ जिले के अमरावती से हैं और सितंबर 2028 में सेवानिवृत्त होंगे. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय के डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की. 1992 से उन्होंने अधिवक्ता संजय जगताप के साथ काम किया. 2000 में, उन्हें नागपुर बेंच में महाराष्ट्र सरकार के लिए सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया. 2005 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और महाराष्ट्र राज्य के लिए ‘ए’ पैनल वकील बन गए. उन्होंने 30 से अधिक बड़े जनहित याचिकाओं में प्रो बोनो आधार पर पेश हुए और 2017 में नागपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए.
न्यायमूर्ति एससी चंदक
न्यायमूर्ति एससी चंदक 21 अक्टूबर 2023 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश बने और इस अक्टूबर में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. वे भी अमरावती से हैं, जैसे न्यायमूर्ति किलोर. उन्होंने 1994 में डॉ. पंजाबराव देशमुख लॉ कॉलेज अमरावती से एलएलबी की पढ़ाई की. फरवरी 2002 से वे अंजनगांव सुरजी जिला अमरावती में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के कोर्ट में सहायक लोक अभियोजक थे. मई 2008 में, उन्हें मुंबई में सत्र न्यायाधीश नियुक्त किया गया और नागपुर बीड, गोवा में जिला न्यायाधीश के रूप में कार्य किया. धुले में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश, बॉम्बे हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार (कार्मिक) और प्रोथोनोटरी बॉम्बे हाई कोर्ट के वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य किया. वे मुंबई में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के अध्यक्ष और महाराष्ट्र राज्य परिवहन अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष भी रहे. इसके अलावा, वे पहले कोल्हापुर और पुणे में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश भी रह चुके हैं.
क्यों अहम है इन दोनों का फैसला?
इन दोनों न्यायाधीशों की विशेषता है गंभीरता, संवेदनशीलता और निष्पक्षता. इस फैसले में उन्होंने साफ कहा कि सरकारी वकीलों ने न तो दोषियों को अपराध से जोड़ने के पुख्ता सबूत दिए और न ही उनके खिलाफ तकनीकी या परिस्थितिजन्य प्रमाण थे. केवल स्वीकारोक्ति और पुलिस गवाही पर फैसला नहीं दिया जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट का निर्णय ‘कानून की कसौटी पर नहीं खरा उतरा’ और 12 लोगों को इतने सालों तक जेल में रखने का कोई आधार नहीं बनता.
अरुण बिंजोला इस वक्त न्यूज 18 में बतौर एसोसिएट एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वह करीब 15 सालों से पत्रकारिता में सक्रिए हैं और पिछले 10 सालों से डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं. करीब एक साल से न्यूज 1…और पढ़ें
अरुण बिंजोला इस वक्त न्यूज 18 में बतौर एसोसिएट एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वह करीब 15 सालों से पत्रकारिता में सक्रिए हैं और पिछले 10 सालों से डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं. करीब एक साल से न्यूज 1… और पढ़ें
[ad_2]
Source link