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Bareilly Latest News: यूपी के बरेली में एक शख्स की कहानी आज कल सुर्खियों में है. वह 10 साल से मुर्दाघर में रह रहा है और मुर्दों के बीच में ही खाता-पीता है. आइए जानते हैं कौन है यह…

मुर्दों के बीच खाना, साथ में सोना, नहीं पसंद जिंदा इंसान, कौन है यह सख्स? जो 10 साल से हर रोज…मुर्दाघर में रहने वाला शख्स अमन.
रिपोर्ट. रामविलास सक्सेना/ बरेली. 10 साल से बिना पगार और मेहनताना के एक शख्स अपनी ड्यूटी मुर्दाघर में कर रहा है. मुर्दों के बीच में रहकर उसे सुकून मिलता है. हम जिसकी बात कर रहे हैं उसका नाम है अमन. इस शख्स की कहानी में चौंकाने वाली बात यह है कि उसे मुर्दा इंसानों के नहीं बल्कि जिंदा इंसानों से डर लगता है. इसलिए वह हर समय मुर्दाघर में ही रहता है और मुर्दों के बीच में ही खाता-पीता है.

ये सौ फीसदी सही है कि अमन बरेली के मुर्दाघर में पिछले 10 साल से फ्री ड्यूटी कर रहा है. जब उससे सवाल किया कि तुम बिना किसी पगार के ड्यूटी क्यों कर रहे हो, तो बोला इस जिंदगी में नेक काम कर लूं, तो अगले जन्म में कुछ अच्छा हो जाएगा. फिलहाल ये शख्स पुलिस या आम लोगों से मिलने वाले सौ-पचास रुपयों पर अपनी जिंदगी गुजार रहा है और अब उसकी सरकार से गुजारिश है कि अगर कहीं एक कमरे का घर और कुछ चंद पैसे की रोजाना की व्यवस्था हो जाए तो उसके भी बच्चे सुकून की जिंदगी काट लेंगे.

बरेली में रहने वाला अमन या फिर इसे कलयुग का हरीशचंद्र है. जहां आज के जमाने में लोग किसी के आंसुओं के दर्द को नहीं समझते, वहीं अमन पांचवीं क्लास फेल होने के बाबजूद लोगों के आंसुओ का मोल समझ चुका है. अमन बरेली के जिला अस्पताल और पोस्टमार्टम हाउस के मुर्दाघर पर पिछले 10 सालों से बिना किसी तनख्वाह के ड्यूटी कर रहा है. अगर कही वारिश, लावारिस, कटी-फटी किसी भी तरह की कोई भी लाश बरामद होती है, जहां ऐसे में परिजन भी लाश को हाथ लगाने से इनकार कर देते हैं. ऐसे में अधिकारियों से लेकर सभी अमन यानी कि इस कलयुगी हरीशचंद्र को ही याद करते हैं. बदले में अमन किसी से कुछ भी नहीं मांगता. पुलिस या फिर कोई भी सौ पचास जो दे देता है… उसी से अपना और अपने परिवार का पेट पालता है.

अमन की बातों पर अगर भरोसा करे तो अमन के पास न कोई अपना घर है और न ही कही रहने का ठिकाना है. अपनी पत्नी और दो बच्चों के लिए एक सस्ता सा किराए का कमरा ले दिया है और खुद जिला अस्पताल के शव गृह में ही मुर्दों के साथ अपनी जिंदगी काट रहा है. जिला अस्पताल के इस मुर्दाघर में हर वक्त दो चार बारिश-लावारिश शव रखे होना आम बात है. यही मुर्दाघर के अन्दर ही किनारे एक ओर अमन ने अपना बिछौना बना लिया और यहीं वह सोता खाता-पीता और रहता है.

अमन से जब पूछा कि तुम्हें डर नहीं लगता तो अमन ने कहा साहब आज के समय में मुर्दों से नहीं बल्कि जिंदा इंसान से डर लगता है. नौकरी क्यों करते हो? छोड़कर कोई दूसरा काम कर लो… तो बोला पिछले जन्मों का भुगतान कर रहा हूं, अगर इस जन्म में इन मुर्दों की सेवा कर लूंगा तो अगले जन्म में जरूर राजा बनूंगा. अमन ने कई बार सरकारी आवास के लिए जैसे-तैसे आवेदन किया लेकिन पास में घूंस देने के लिए पैसा न होने की वजह से उसे हर नहीं मिल सका.

तो फिलहाल अमन की मुर्दाघर में सेवा का सिलसिला लगातार जारी है और अब उसे प्रदेश सरकार से चार पैसों का इंतजाम और एक छोटे से घरौंदे की दरकार है. वहीं जिले का कोई भी जिम्मेदार अफसर अमन की इस मजबूरी और बेबसी पर कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है.

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