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मेरठ: उत्तर प्रदेश का मेरठ, जो अब तक अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता था, अब विकास के नए पथ पर तेजी से बढ़ रहा है. यहां नई टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जा रहा है, जो भविष्य में शहर को नई पहचान देगा. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है मेरठ मेट्रो और नमो भारत ट्रेन. यह देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा, जहां सेमी हाई-स्पीड नमो भारत ट्रेन और मेरठ मेट्रो एक ही ट्रैक पर दौड़ेगी, और यह सब बैलास्टलेस ट्रैक (Ballastless Track) स्लैब पर बेस्ड होगा.

बैलास्टलेस ट्रैक स्लैब
यह बैलास्टलेस ट्रैक स्लैब होते हैं, जिन पर हाई-स्पीड ट्रेन दौड़ती है. इस ट्रैक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब ट्रेन दौड़ती है तो इसमें ट्रेन में झटके कम लगते हैं, यानी वाइब्रेशन कम महसूस होती है. इसका जीवनकाल लंबा होता है और कम रखरखाव की जरूरत होती है, जिससे ट्रैक की कुल रखरखाव लागत भी काफी कम हो जाती है. इन स्लैब ट्रैक को बनाने के लिए हाई क्वालिटी वाले कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है, जो इसे मजबूत और टिकाऊ बनाता है.

एक ट्रैक पर दौड़ेगी दो ट्रेनें
नमो भारत ट्रेन की बात करें तो यह मेरठ साउथ स्टेशन से न्यू अशोक नगर दिल्ली तक 150-160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी. इसके अलावा, मेरठ साउथ से मोदीपुरम तक नमो भारत ट्रेन और मेरठ मेट्रो दोनों संचालित होंगे, जो यात्रियों को सिर्फ कुछ मिनटों में अपनी मंजिल तक पहुंचाएंगे. यह देश में पहली बार होगा जब एक ही ट्रैक पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से मेट्रो और 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से नमो भारत ट्रेन दौड़ेंगी. यह विकास ना केवल मेरठ को एक नई पहचान देगा बल्कि देशभर में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट बनेगा.

23 किलोमीटर का मेरठ कॉरिडोर
मेरठ के नए ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत कुल 23 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाया जा रहा है. इस कॉरिडोर में कुल 13 स्टेशन होंगे, जिसमें नमो भारत ट्रेन के यात्री मेरठ साउथ स्टेशन, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम तक सफर कर सकेंगे. इसके अलावा, मेरठ मेट्रो का संचालन मेरठ साउथ से परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम और मोदीपुरम डिपो के बीच होगा, जहां 120 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से मेट्रो चलेगी. जिसको लेकर मेरठ साउथ से शताब्दी नगर तक प्रतिदिन ट्रायल प्रक्रिया भी जारी है, जिससे समय रहते सही तरीके से ट्रैक और ट्रेन की कार्यप्रणाली को परखा जा सके.

2025 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट जून 2025 तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा, और तब आप मेरठ के संपूर्ण कॉरिडोर में नमो भारत ट्रेन और मेरठ मेट्रो को दौड़ते हुए देख सकेंगे.

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