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मोहम्मद शमी को रमजान में रोजा न रखने पर आलोचना का सामना करना पड़ा है. मौलाना उमेर खान ने सफर में होने के कारण शमी को रियायत दी है, जबकि मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इसे गुनाह बताया है.

मोहम्मद शमी की आलोचना
हाइलाइट्स
- मोहम्मद शमी रोजा न रखने पर विवादों में.
- मौलाना उमेर खान ने दी सफाई, मुसाफिर को रियायत.
- शमी को 60 रोजे रखने और कफारा अदा करने की सलाह.
अलीगढ़. टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल पहुंच गई है. रविवार को भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से होगा. लेकिन इस बड़े मुकाबले से पहले भारत में बवाल मच गया है. दरअसल रमजान के महीने में रोजा न रखने के कारण पेस बॉलर मोहम्मद शमी धर्मगुरुओं के निशाने पर आ गाए हैं. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल की एक तस्वीर इन दिनों वायरल हो रही है. इसमें देखा जा सकता है कि शमी मैदान में एनर्जी ड्रिंक पी रहे हैं. ऐसे में धर्मगुरुओं ने उनकी आलोचना की है.
बरेली के ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि इस्लाम में रोजा को फर्ज करार दिया गया है. उन्होंने शमी पर हमला करते हुए कहा है कि जान बूझकर रोजा न रखना सबसे बड़ा गुनाह है. उन्होंने कहा कि शमी को खुदा को जवाब देना होगा. क्या सच में रमजान के दौरान रोजा न रखना गुनाह है? ये जनाने के लिए लोकल 18 ने अलीढ़ के इस्लामिक स्कॉलर मौलाना उमेर खान से बात की.
रोज़े के महीने मे उनके साथ रियायत
मौलाना उमेर खान ने कहा, ‘मैं बहुत स्पष्ट रूप से आपको बता दूं कि इस्लाम में रोजदारों के लिए बहुत सारी गुंजाइश भी हैं और मोहम्मद शमी क्योंकि इस समय मुसाफिर हैं सफर में हैं मुल्क के लिए क्रिकेट के मैदान में पूरी दुनिया से जंग लड़ रहे हैं और चैंपियंस ट्रॉफी को जिताने की कगार पर हैं तो मैं समझता हूं कि इस समय वह रियतीखाने में हैं. ऐसे मे रोज़े के महीने मे उनके साथ रियायत है. ऐसे में वह अगर रोज़े की कज़ा कर लेंगे तो वह गुनाह में शामिल नहीं होंगे.
गुनाह के बाद शमी को करना होगा ये काम
मौलाना उमेर खान ने कहा कि जहां तक इस्लाम के नियम और कानून का मामला है तो रोज़ा जानबूझकर छोड़ने से इंसान गुनहगार होता है. और उसके लिए 60 रोजे मुसलसल (लगातार) रखने होते हैं. उसका कफारा भी अदा करना होता है. लेकिन मुसाफिर के लिए इसमें रियायत है और वह ऐसे में रोज़ा कज़ा कर सकते हैं.
चैंपियंस ट्रॉफी के बाद हर हाल मे…
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे में मोहम्मद शमी को चाहिए कि वह भारत को चैंपियन ट्रॉफी में जीतने के बाद उन रोगी की काज कर ले जो रोज़े उन्होंने देश का मान बढ़ाने के काम की वजह से छोड़े हैं’. रही बात मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी के बयान की तो उन्होंने किस तरह और किस वजह से यह बयान दिया है यह तो वहीं बता सकेंगे. मैं सिर्फ यही कहूंगा कि रोजे के महीने में रोजगारों को काफी चीजों में रियायत दी गई है.
बता दें कि किसी भी खिलाड़ी के लिए रोजा रखना आसान नहीं होता. इस वक्त शमी टीम इंडिया के सबसे बड़े हथियार हैं. खासकर एक तेज गेंदबाज को ज्यादा एनर्जी की जरुरत होती है.
Aligarh,Uttar Pradesh
March 06, 2025, 16:03 IST
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