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उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित झाली धाम मंदिर में मौजूद चमत्कारी कामधेनु गाय के दर्शन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर के महंत नरसिंह दास के अनुसार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, नेपाल, बिहार, अ…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • गोंडा के झाली धाम मंदिर में चमत्कारी गाय है.
  • श्रद्धालु दूर-दराज से दर्शन के लिए आते हैं.
  • कामधेनु गाय के दर्शन से दुख-दर्द दूर होते हैं.

गोंडा. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित झाली धाम मंदिर इन दिनों एक खास वजह से सुर्खियों में है. यहां एक ऐसी गाय है जिसे लोग चमत्कारी मानते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि इस गाय के सिर्फ दर्शन करने से ही मन को शांति मिलती है और सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. लोकल 18 से बातचीत के दौरान मंदिर के महंत नरसिंह दास इस गाय को विशेष मानते हैं. उनके अनुसार यह गाय मंदिर में खुद ही आई थी और तभी से यहीं रह रही है. पुजारी इसे मां का रूप मानकर सेवा करते हैं और इसे विशेष भोजन भी दिया जाता है.

दर्शन के लिए कहां-कहां से आते हैं श्रद्धालु
महंत नरसिंह दास बताते हैं कि कामधेनु का दर्शन करने के लिए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, नेपाल, बिहार, अयोध्या, बहराइच, श्रावस्ती समेत कई जिलों और प्रदेशों से लोग आते हैं और कामधेनु गाय माता का दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं.

क्या है मान्यता
नरसिंह दास महाराज बताते हैं कि कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से ही सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और लोगों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पूज्यवर गुरु श्री झाली निवासी महाराज जी ने संकल्प लिया था कि वह किसी गाय का दूध नहीं पिएंगे. इसके बाद झाली धाम प्रांगण में रात 12:00 बजे अपने आप एक कामधेनु गाय आती थी. यह घटना लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी बताई जाती है.

कामधेनु गाय की कैसे हुई थी उत्पत्ति
नरसिंह दास महाराज बताते हैं कि कामधेनु गाय की उत्पत्ति का सबसे प्रमुख उल्लेख समुद्र मंथन की कथा में मिलता है. यह वही घटना है, जिसमें देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर (दूध का समुद्र) का मंथन किया था. इस मंथन से 14 रत्न निकले थे और उन्हीं रत्नों में से एक थीं कामधेनु गाय.

कामधेनु गाय की कितनी होती है आयु
नरसिंह दास बताते हैं कि कामधेनु गाय की आयु 28 से 32 साल तक होती है. उन्होंने बताया कि झाली धाम आश्रम में यह पांचवीं गाय है. इससे पहले चार गायें थीं, जिन्होंने अपना शरीर त्याग दिया. महाराज जी का मानना है कि जब भी कोई कामधेनु गाय शरीर त्यागती है, तो लगभग एक से डेढ़ महीने के भीतर रात में अपने आप एक नई कामधेनु गाय आ जाती है. आज तक किसी को यह ज्ञात नहीं हो पाया है कि यह गाय कहां से आती है और इसका जन्म कैसे होता है.


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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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