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Agency:News18 Uttar Pradesh

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रायबरेली जिला मुख्यालय में लालगंज कस्बे को जोड़ने वाला सई नदी(राजघाट) पर बना पुल रायबरेली को उन्नाव, फतेहपुर ,कानपुर ,लखनऊ जिलों से जोड़ता है.

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यूपी का पहला प्राइवेट ब्रिज: जानिए इसकी ऐतिहासिक अहमियत और आजादी में इसकी खास भूमिका

यूपी का पहला प्राइवेट ब्रिज 

रायबरेली जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है. यहां के लोगों का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी इस जनपद से गहरा लगाव था. इसी कड़ी में, रायबरेली के जिला मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजघाट पर एक पुल बना है, जिसे यूपी का पहला प्राइवेट ब्रिज भी कहा जाता है.

पुल का निर्माण और इतिहास
अंग्रेजी शासनकाल में लालगंज कस्बे को रायबरेली जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए सई नदी पर एक पुल का निर्माण कराया गया था. इससे लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने में आसानी होती थी. समय के साथ इस पुल की हालत बिगड़ती चली गई और किसी भी जिम्मेदार ने इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया.

प्राइवेट ब्रिज की कहानी
लोगों का मानना है कि इस पुल को प्राइवेट ब्रिज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण स्थानीय राजाओं और तालुकेदारों ने कराया था. हालांकि, इतिहासकार डॉ. राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि इसके कोई लिखित प्रमाण नहीं हैं. उनके अनुसार, यह पुल अंग्रेजी हुकूमत के समय बना था और इसका निर्माण सरकार ने कराया था. यह पुल रायबरेली को उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, लखनऊ जिलों से जोड़ता है. यह पुल आज भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि इसकी हालत जर्जर हो चुकी है.

संरक्षण की आवश्यकता
वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. राम बहादुर वर्मा का कहना है कि इस पुल का संरक्षण किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक धरोहर है. उन्होंने यह भी बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के समय रायबरेली के उत्तरी छोर पर स्थित लालगंज, बैसवारा, भीरा, गोविंदपुर, डौंडिया खेड़ा का अहम योगदान था. यहां के राजा राणा बेनी माधव बक्स सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ी थी, जिसका जिक्र इतिहास के पन्नों में भी है.

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यूपी का पहला प्राइवेट ब्रिज: जानिए इसकी ऐतिहासिक अहमियत

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