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अमेठी जिले में टॉप 10 सूची में जिले के एक विद्यालय की दो छात्राओं ने अपना परचम लहराया है. आज उनकी सफलता पर विद्यालय काफी खुश है और परिवार के लोग खुशी से झूम उठे हैं.

खुशी मनाती परचम लहराने वाली छात्रा मौजूद स्कूल के प्रधानाध्यापक परिवार के लोग और
हाइलाइट्स
- अमेठी की दो छात्राओं ने टॉप 10 में जगह बनाई.
- रिचा सिंह और आयुषी सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार को दिया.
- पिता की मेहनत और संघर्ष से बेटियों ने सफलता पाई.
अमेठी: पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती है, मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है.. अमेठी की बेटियों ने इस कहावत को चरितार्थ करके दिखाया है. अमेठी जिले में टॉप 10 सूची में जिले के एक विद्यालय की दो छात्राओं ने अपना परचम लहराया है. आज उनकी सफलता पर विद्यालय काफी खुश है और परिवार के लोग खुशी से झूम उठे हैं. टॉप 10 सूची में शामिल होने वाली बेटियों ने अपनी सफलता सफलता का श्रेय अपने पिता और परिजनों को दिया है.
इन छात्राओं ने लहराया परचम
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में गौरीगंज जिला मुख्यालय के रणंजय इंटर कॉलेज की छात्रा आयुषी सिंह के पिता एक फोटो कॉपी की दुकान चलाते हैं, तो वहीं रिचा सिंह के पिता एक किसान हैं.
कम पढ़ाई में हासिल हुई ज्यादा सफलता
छात्रा रिचा सिंह इंटरमीडिएट की टॉपर हैं और उन्होंने बातचीत में बताया कि उनके पिता किसान हैं. पढ़ाई में काफी संघर्ष था, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने कम समय में नियमित और संयमित पढ़ाई कर यह सफलता पाई है. सर्दी और गर्मी उन्होंने कभी नहीं देखा. उनका लक्ष्य सिर्फ एक था सफलता पाना, इसलिए धीरे-धीरे उन्होंने मेहनत और सफलता से आप मुकाम हासिल किया. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी सिर्फ मन लगाकर पढ़े जो भी सवाल उनके मन में आ रहे हैं उन्हें एक बार नहीं बार-बार सुलझाने का प्रयास करें और वह सफल हो जाएंगे.
वहीं आयुषी सिंह के पिता फोटो कॉपी की दुकान चलाते हैं. उन्होंने कहा कि पढ़ाई में काफी मेहनत और संघर्ष था. कभी-कभार पैसों की भी दिक्कत होती थी, लेकिन घर वालों ने कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया और सब ने साथ दिया. इसी का परिणाम है कि आज हम सफल हुए हैं. विद्यार्थियों को वह यही संदेश देना चाहती हैं कि मेहनत और लगन से पढ़ाई करेंगे तो सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी.
छात्राओं के पिता में खुशी की लहर
वहीं दोनों छात्रों के पिता ने कहा की बच्चों को पढ़ाना और मां-बाप का सपना होता है. सिर्फ एक उद्देश्य बाकी चुनौतियां कितनी आईं, संघर्ष कितना हो, बस बच्चों को सफल बनाना उद्देश्य था. आज जब बच्चे सफल हुए हैं, तो उनकी खुशी दोगुनी है और आगे भी इसी तरीके से बच्चों को हर बार सही मुकाम देने का प्रयास करेंगे, ताकि बच्चे आगे सफलता की राह पर चलें और समाज और परिवार का नाम रोशन करें.
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