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सनन्दन उपाध्याय/बलिया: एक ऐसे संत की कहानी, जिन्होंने अपने गुरु की सेवा के लिए दो बार जन्म लिया. जी हां सही सुना आपने. ये वही सिद्ध संत थे, जिन्होंने दूसरी बार जन्म लेकर देश की आजादी के लिए एक शिष्य को तैयार किया. बलिया विरासत संत शिरोमणि स्वामी महाराज बाबा बलियायाय महर्षयः जैसी पुस्तकों के मुताबिक होरिल बाबा का दूसरा जन्म गुरु सेवा के लिए रघुपति दास के रूप में हुआ था. बाबा से मिलने के लिए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू भी बलिया आए थे. आइए विस्तार से जानते हैं.
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि बलिया जिले के बैरिया तहसील में स्थित मिल्की मठिया के महंत स्वामी महाराज बाबा के शिष्य होरिल बाबा का जन्म जिले के चकिया गांव में हुआ था. जब महाराज बाबा का अंतिम समय आया तो इन्होंने अपने गुरु महाराज बाबा से वरदान मांगा कि वो अगले जन्म में भी बाबा के शिष्य बने और सेवा करें.
वरदान हुआ सत्य, होरिल बाबा का हुआ पुनर्जन्म
लगभग 100 साल बाद होरिल बाबा ने जिले के बांसडीह तहसील के केवड़ा गांव में एक कुशवाहा परिवार में जन्म लिया. बाबा जन्म से ही संत प्रवृत्ति के थे. होरिल बाबा के रूप में जन्मे ये महान संत रघुपति दास के रूप में प्रसिद्ध हुए. अंत में भटकते हुए आखिरकार अपने गुरू महाराज बाबा की मठिया पर पहुंच गए.
अंत में बाबा से मिलने आए पंडित जवाहरलाल नेहरू…
रघुपति दास बाबा ने गुरू महाराज बाबा की मठिया को इतना सिद्ध और प्रसिद्ध कर दिया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस नेता जेबी कृपलानी सन 1923 ईस्वी में इनके दर्शन करने के लिए बलिया आए. रघुपति दास बाबा ने अपने शिष्य लक्ष्मण दास बाबा को देश की आजादी की लड़ाई के लिए भी तैयार किया और 1942 में बलिया ने जो आजादी प्राप्त की, उसमें बाबा लक्ष्मण दास का बहुत बड़ा योगदान रहा.
Tags: Hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 11:05 IST
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