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Etawah News: इटावा में टमाटर की फसल का भाव गिरने से किसान परेशान हैं और अपनी फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि बाजार में टमाटर के भाव नहीं मिल रहे हैं, लोग फ्री में भी खरीदने को तैयार नह…और पढ़ें

जाने ! क्यों टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हो रहे हैं किसान !
हाइलाइट्स
- इटावा में टमाटर की फसल का भाव गिरने से किसान परेशान हैं.
- किसान टमाटर की फसल को ट्रैक्टर से नष्ट कर रहे हैं.
- मुफ्त में भी टमाटर लेने को तैयार नहीं हैं लोग.
इटावा : सलाद और सब्जियों में टमाटर का बड़ा महत्व माना जाता है, लेकिन वही टमाटर अब घाटे के चलते किसानों के लिए मुसबीत का सबब बन गया है. इसलिए किसान अपने-अपने खेतों में टमाटर की फसल को नष्ट करने में जुटे हुए देखे जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के टमाटर किसान बड़े घाटे के चलते अपने अपने खेतों में ही टमाटर की फसल को ट्रैक्टर के माध्यम से खत्म करने में जुट गए हैं.
असल में ज्यादा उत्पादन के चलते इटावा में टमाटर का भाव न के बराबर किसानों को मिल रहा है. खेत से टमाटर को निकालने से लेकर मंडी तक लाने में बड़ा खर्चा आने ओर अच्छा भाव न मिलने के कारण किसान अपनी टमाटर की फसल को खेतों में ही नष्ट कर रहे हैं.
बता दें कि टमाटर का बाजार भाव न के बराबर है. इस वजह से किसानों को अपने-अपने खेतों में टमाटर की फसल को नष्ट करना पड़ रहा है. इस समय टमाटर उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत खराब है. किसानो की मजदूरी भी नही निकल रही है. टमाटर का भाव गिरकर पांच रुपए किलो पहुंच जाने से दुखी एक किसान ने अपने टमाटर के खेत पर ट्रैक्टर चला दिया. पहले उसने लोगों से मुफ्त में टमाटर ले जाने के लिए कहा जब लोग नहीं पहुंचे तो ट्रैक्टर चला दिया.
इस क्षेत्र के ग्राम नगला हरलाल के रहने वाले ग्राम पंचायत रमायन के पूर्व प्रधान और किसान इंद्रेश कुमार शाक्य ने अपनी छह बीघा जमीन पर टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चला कर टमाटर की फसल जोत डाली.
किसान इंद्रेश कुमार शाक्य ने बताया कि उन्होंने टमाटर की खेती के लिए काफी लागत लगाई. मजदूरों का काफी खर्चा आया. उसका खर्चा भी यह फसल नहीं निकाल पाई. लेबर का खर्चा उन्हें अपनी जेब से देना पड़ा. इस फसल से उन्हें घाटा ही घाटा हुआ. उन्होंने बताया कि इससे पूर्व फूल गोभी की फसल ने भी ऐसा ही धोखा दिया, जिसके कारण सैकड़ों किसानों ने गोभी की खड़ी पकी फसल को खेत में ही जोत दिया था.
किसानों के अनुसार मंडी में आढ़तियों ने भी किसानों से टमाटर खरीदना बंद कर दिया. टमाटर की फसल का क्षेत्रफल अधिक होने और उत्पादन अधिक होने के कारण अन्य सब्जियों की तुलना में टमाटर मंडियों में और सड़कों पर चार पहिया ठेलो पर उतरने लगा. पांच रुपये किलो के भाव में आवाज लगाकर बिकने लगा. टमाटर का भाव इतना कम हो गया कि खेत से टमाटर की तुड़ाई मजदूरी भी नहीं मिल रही, जिससे दुखी होकर कई किसानों ने खेत में पकी और तैयार खड़ी टमाटर की फसल पर ट्रेक्टर चला कर जुताई करा दी. इससे पहले किसानों ने सार्वजनिक रुप से मुफ्त में टमाटर तोड़ कर ले जाने की मुनादी करा दी थी, लेकिन मुफ्त में भी लोग टमाटर तोड़ कर लेने नहीं पहुंचे। तब किसानों ने फसल पर ट्रैक्टर चला दिया।
वहीं इटावा में किसानों को टमाटर की फसल पर हुए पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में टमाटर किसानों की लागत भी नहीं निकलना बताता है कि भाजपा सरकार खेती-किसानी की कितनी उपेक्षा करती है.
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