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हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की स्टडी में पाया गया कि रोजाना एक खट्टा फल खाने से डिप्रेशन का खतरा लगभग 0% तक कम हो सकता है. खट्टे फल आपकी गट-हेल्थ को सुधारते हैं और इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं. इस अध्ययन में एक खास फल …और पढ़ें

हर दिन ये खट्टा फल खाने से डिप्रेशन का खतरा 20% तक कम हो जाता है.
हाइलाइट्स
- संतरा खाने से अवसाद का खतरा 20% तक कम हो सकता है.
- खट्टे फल गट-हेल्थ सुधारते हैं और इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं.
- गट में 90% सेरोटोनिन और 50% डोपामाइन बनते हैं.
An apple a day Keeps Doctors away… डॉक्टरों को भले ही ये कहावत पसंद न आए लेकिन जमाने से ये कहावत हमें सिखा रही है कि कैसे एक सेब आपकी सेहत को सुधार कर रख सकता है. इतना ही नहीं, इस कहावत से समझ में आता है कि प्रकृति ने हमें कितने ऐसे खजाने दिए हैं जो हमारी सेहत और स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. ऐसे ही एक वरदान यानी सेब के बारे में तो आप खूब जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सेब के अलावा भी एक खट्टा फल है जो सेहत के लिहाज से लाजवाब है. ये फल हमारे शरीर के ‘दूसरे ब्रेन’ यानि गट-हेल्थ (आंत) का ख्याल रखता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने अपनी स्टडी में इस एक खट्टे फल का जिक्र किया है.
क्या है ‘दूसरे ब्रेन’ का डिप्रेशन से कनेक्शन?
दरअसल, एक हेल्दी गट आपके भोजन को पचाने और उसके पोषक तत्वों को अवशोषित करने में आपकी मदद करता है. हेल्दी गट, मजबूत इम्यूनिटी की भी वजह बनता है. लेकिन आपके शरीर में मौजूद ये ‘दूसरा ब्रेन’ बस इतना ही काम करता है? नहीं, बल्कि आपके इस दूसरे ब्रेन का आपके शरीर के मस्तिष्क से गहरा नाता है. आपका Happy पेट आपके मूड को भी हैप्पी करने में मदद करता है क्योंकि आपके शरीर के लगभग 90% सेरोटोनिन और आपके डोपामाइन का 50% से अधिक कहीं और नहीं बल्कि आपके गट यानी आंत में बनते हैं. ये दो महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर हैं जो आपको अच्छा महसूस कराने के लिए जिम्मेदार हैं. मानव शरीर के लगभग 90% सेरोटोनिन और 50% से ज़्यादा डोपामाइन पेट में बनते हैं.

संतरा शरीर के ‘दूसरे ब्रेन’ यानि गट-हेल्थ (आंत) का ख्याल रखता है.
An Orange a Day Keeps Depression away
आईएएनएस की एक रिपोर्ट के अनुसार पेट और अच्छे मूड संबंधी स्टडी हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने की. जिसके निष्कर्ष 2024 के अंत में माइक्रोबायोम पत्रिका में प्रकाशित हुए थे. ये स्टडी खट्टे फलों और मूड से संबंधित थी. इस स्टडी में 30,000 से अधिक महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया गया. अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं बहुत अधिक मात्रा में खट्टे फलों का सेवन करती हैं, उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना उन महिलाओं की तुलना में बहुत कम होती है जो इसका सेवन नहीं करती हैं. इन फलों में भी एक फल को खासा तवज्जो दी गई. ये फल डिप्रेशन के खतरे को 20 फीसदी तक कम करता है. वो यूं कि आपके गट को स्ट्रॉन्ग रखता है और इम्यूनिटी को बूस्ट करता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने हार्वर्ड गजट में बताया, “हमने पाया कि प्रतिदिन एक मध्यम आकार का संतरा खाने से अवसाद विकसित होने का जोखिम लगभग 20% कम हो सकता है.’ शोध में दावा किया गया कि ऐसा सिर्फ खट्टे फलों के केस में हुआ. अन्य सब्जियों और फलों के मामले में ऐसा नहीं देखा गया.
स्टूल के नमूनों में शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक खट्टे फल खाने से फेकैलिबैक्टीरियम प्रौसनिट्जी नामक एक लाभकारी गट बैक्टीरियम (आंत जीवाणु) के स्तर में वृद्धि होती है, जो अपने सूजन-रोधी गुणों के लिए जाना जाता है. इतना ही नहीं, यह सेरोटोनिन और डोपामाइन को मस्तिष्क तक पहुंचने में भी मदद कर सकता है. 2022 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि कम खट्टे फल खाने वालों में अवसाद संबंधी दिक्कतें बढ़ती हैं.
March 14, 2025, 18:47 IST
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